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Thursday, 27 December 2012

जीवन

नव वर्ष की शुभकामना 

इस धरा पर जन्म लिया कालजयी बना?
श्रृष्टि के प्रारंभ से अवतरण या प्रकटीकरण हो
पैरों ने स्पर्श किया वसुधा को जवाब देना पड़ा?
धर्म की रक्षा या अधर्म के नाश में बने कालजयी?

प्रति पल प्रश्न पर प्रश्न शाश्वत क्या है?
जीवन है क्या, जीवन का मूल?
जन्म की सार्थकता कैसे?
क्या खो दिया, क्या पा लिया?

हम प्रति पग कैसे चले?
किसकी छांव में बैठे?
किसने हमें दुत्कार दिया?
किसका आश्रय मिला?

किसने हमारा शोषण किया?
किसका हमने शोषण कर दिया?
कब हम गिर पड़े?
किसके कंधे का सहारा लिया?

किसको बनाया हमने  सीढ़ी?
सीढ़ी बन गए किनके?
किस पड़ाव पर रुक गये?
संजोग से रखा कदम और गिर पड़े?

किन सत्कर्मों से लड़खड़ा गये कदम?
मंजिल की चाह में ही अपना ली पगडण्डी?
कहाँ से लौटना पड़ा?
कौन राह से लौट गया वापस?

छुट गया कौन बीच राह में?
क्यों किसे हमने छोड़ दिया?
ज़िन्दगी में
पड़ाव, लक्ष्य, ठहराव, शांति, तुष्टि,

कर दें परिभाषित परम और चरम कैसे?
हमने जो जिया वही सब सच?
यही सबका सच?
अंत या मोक्ष?

न इसके आगे?
न इसके पीछे?

06.07.2010
चित्र गूगल से साभार  

14 comments:

  1. शाश्‍वत प्रश्‍नों के पालने में झूलता जीवन.

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  2. यही सबका सच?
    अंत या मोक्ष?
    इन्ही सवालों में उलझा है जीवन...
    न इसके आगे?
    न इसके पीछे?
    गहन भाव... नववर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनायें

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  3. अपरिभाषित सच..

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  4. हमने जो जिया वही सब सच?,,,उम्दा प्रस्तुति,,

    recent post : नववर्ष की बधाई

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  5. प्रश्न ही प्रश्न हैं -समाधान कौन दे ?
    कबीर जी भी कह गये -
    इतते सबही जात हैं (प्रश्नों का)भार लदाय-लदाय,
    उतते कोई न आवई ,जासे पूछूँ धाय !

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  6. स्वयं से प्रश्न करना अर्थात स्वयं को समझने का प्रयास करना है.
    और हर प्रश्न का संतोषजनक उत्तर मिलना संभव भी नहीं होता..जब एक प्रश्न अन्य कई प्रश्नों को जन्म दे देता है तब ऐसी ही मनोदशा होती है .खुद में उलझी सी !बहुत अच्छी भाव-अभिव्यक्ति .

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  7. इन प्रश्नों के उत्तर ढूँढने का समय किसके पास है.. और कहाँ हैं ऐसे गुरू जो इन प्रश्नों के उत्तर दे सकें... हमने जो फसल बोई है उसकी विषैली पौध अब वृक्ष बन चुकी है... कलियुग में न अर्जुन के मन में संशय उठाता है न भगवान उसका समाधान प्रस्तुत कर पाते हैं!!

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  8. कमसे कम साल के अंत में ही सही सही और गलत का लेखा जोखा और आकलन आवश्यक है.

    आगामी नव वर्ष के लिये बहुत बहुत शुभकामनायें.

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  9. बहुत मुश्किल...! जीवन-धारा के संग बहते चले जा रहे हैं, क्या खुद कभी रुख़ मोड़ पाएँगे...? लक्ष्य पर पहुँचना ही है... ऐसे या वैसे...! क्या पता, क्या खबर... :(
    बहुत सोचा... पर कुछ जवाब सिर्फ़ सवाल ही रहते हैं...!
    ~सादर !!!

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  10. प्रति पल प्रश्न पर प्रश्न शाश्वत क्या है?
    जीवन है क्या, जीवन का मूल?
    जन्म की सार्थकता कैसे?
    क्या खो दिया, क्या पा लिया?

    ये तमाम प्रश्न वर्ष की इस संध्याबेला पर खुद से करना बेहद आवश्यक हैं..
    सुंदर प्रस्तुति।।।
    नववर्ष की अग्रिम शुभकामनाएं।।।

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  11. प्रति पल प्रश्न पर प्रश्न शाश्वत क्या है?

    शाश्वत यही है हमारा होना एक दिन न होना !
    खुद के बारे में जानना यही जीवन की सार्थकता है
    मेरे लिए !

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  12. यही सबका सच?
    अंत या मोक्ष?
    बिल्‍कुल सही ...

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  13. नूतन वर्षाभिनंदन मंगलकामनाओं के साथ.

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  14. दिन तीन सौ पैसठ साल के,
    यों ऐसे निकल गए,
    मुट्ठी में बंद कुछ रेत-कण,
    ज्यों कहीं फिसल गए।
    कुछ आनंद, उमंग,उल्लास तो
    कुछ आकुल,विकल गए।
    दिन तीन सौ पैसठ साल के,
    यों ऐसे निकल गए।।
    शुभकामनाये और मंगलमय नववर्ष की दुआ !
    इस उम्मीद और आशा के साथ कि

    ऐसा होवे नए साल में,
    मिले न काला कहीं दाल में,
    जंगलराज ख़त्म हो जाए,
    गद्हे न घूमें शेर खाल में।

    दीप प्रज्वलित हो बुद्धि-ज्ञान का,
    प्राबल्य विनाश हो अभिमान का,
    बैठा न हो उलूक डाल-ड़ाल में,
    ऐसा होवे नए साल में।

    Wishing you all a very Happy & Prosperous New Year.

    May the year ahead be filled Good Health, Happiness and Peace !!!

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