हर सहर हाल जो, माज़ी में बदल जायेगा
दो कदम चलकर, सरेराह बिछड़ जायेगा
रुक गया तू भी गर, मसीहा की तरह
शमअ-ए-राह, कौन रहनुमा जलायेगा.
सूनी महफ़िल हर सजी, रात के अंधियारे में
साकी सजती ही रही, बाट में चौराहे में
उठ गया तू भी गर, हर सदा की तरह
शमअ-ए-राह, कौन रहनुमा दिखायेगा.
13.09.1979
चित्र गूगल से साभार
चलना ही जीवन है या जीवन ही चलते रहने का नाम है.
ReplyDeleteसकारात्मक सोच और संदेश लिए अच्छी रचना..
सुंदर भाव
ReplyDeleteउठ गया तू भी गर
ReplyDeleteसरे-साम हर सदा की तरह
शमअ-ए-राह
कौन रहनुमा दिखायेगा
बहुत सुंदर भाव ...!!
शुभकामनायें...
हमें विश्वास है कि एक दिन
ReplyDeleteयह अँधेरा भी कहीं छट जाएगा !
bahut hi bhavpurn rachna....
ReplyDeletesundar gazal...
ReplyDeleteउम्दा नज़्म ..
ReplyDeleteतब तो खुद से तलाशनी होगी, खुद की राहें.
ReplyDeleteसकारात्मक सोच वाली कविता
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
ReplyDeleteप्रेरणा देती हुई बहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteसुंदर भाव , अच्छी रचना
ReplyDeleteकोई न कोई अँधेरे से निकल कर आएगा,
ReplyDeleteराह में इक दीप छोटा सा ही बाल जाएगा,
लड़ सकेगा दीप अँधेरे से तनहा रात भर,
वो फरिश्ता आएगा, तुम देखना वो आएगा!
रुक गया तू भी गर, मसीहा की तरह
ReplyDeleteशमअ-ए-राह, कौन रहनुमा जलायेगा.
.....लाज़वाब प्रस्तुति..
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteसुन्दर कविता
ReplyDeleteहरफनमौला हैं आप सिंह साहब, गिने चुने लफ़्ज़ों में तड़प, कसक, विरह, वेदना|
ReplyDeleteबहुत खूब|
सार्थक सृजन , आभार.
Deletechhoti thaali me zyada bhojan parosna aapko aata hai.
ReplyDeleteखूबसूरत ख्याल ! आभार !
ReplyDeleteकौन जाने वे कब गुजरें इस राह से
ReplyDeleteहसरतों की शम्मा एक रौशन रखिये
सकारात्मक अर्थ लिए हुए लाजवाब रचना |
ReplyDeletemy recent post-"एक महान गायक की याद में..."
आभार |