परिवार म नता-गोता के महत्तम हवय ...
बर-बिहाव, मरनी-हरनी, छट्ठी -छेवारी, सुख-दुःख, पढ़ाई-लिखाई, तीज-,तिहार, लेन देन, घर , ओनहा-जुनहा, खेती-खार, खरीद-बिक्री
सब्बो परकार के काम म पूछ पुछाई होथे ...एक खासम खास मनखे के
ओखर राय, बात, रकम के बेंवत, लिखा-पढ़ी के हिसाब गज़ब रथे ...!
मन परथे त ओई ह बकलम घलाव कर देंथे, हरे खटके म गवाही ...
***
जे बुता आँखि के मिल्की मारे म निपट जाथे तेला सात दिन लाग जावय
सोंच देखव ओकर मज़ा-दुख आउ करलई ल ...
गांव म समे के धनित्तर मनखे जनम लेथे कभू कभू सहर घलो म उदगरथे
जोंग दे कुछु बुता भले ओ ह मरनी के होवय के बिहाव के ...
हमर तुंहर कहे म न बिहाव के लगन रुकय न मरनी के घरी टरय ...
फेर *** घोरन *** फूफा खोज के एक नवा लफंदर फंसा देथे ...
जान बूझ के एके ठन सादा धोती ओहु सच्चा नीलम के पहिर के सगरी खने आ जाथे, आउ कोढ़ म खजरी ए उजबक रिसदीहींन बहुरिया ...
ए दे अं...अं....अं कहत उलच दिस महाउर घोरे बाल्टी ल मुड़ म ...
फूफा जी के मेघना बीड़ी के कट्टा संग माचिस घलो के सत्यानाश होगे ।
अब दूल्हा बरूंवा रिसाये बर जाहि ...ओला मनाके लाही कोन। ?
" एक थे फूफा जी ,, https://akaltara.blogspot.com/2018/07/blog-post.html जेकर सच्चा नीलम के धोती जेमा चटाई धरि रहय धरि के रंग नीला रहय
बूढ़ी खार के पंजाबी के दुकान म मिलहि ओहु बेलासपुर म ...
बरूंवा रिसाये बर निकरे के पहिली फूफा के सरंजाम के खंजा मढ़ा ...!
फूफा दण्डरिहा चड्डी के ऊपर म ओहि सच्चा नीलम के धोती पहिरहि ...
अब रेंगव बेलासपुर ...फांद गाड़ी ...ला धोती ओहिच रंग आउ धरि के ...
फूफा बिन बरूंवा रिसाये वाला दूल्हा कइसे आही हटवारा ले लहुटके ...
बरात बिदा, दूसर दिन कंजी नाला म जेवनास, द्वार चार,समधी भेंट म फूलमाला , मंड़वा तरी पकवान संग घी के कटोरी, रात के सुते के बेवस्था, मंड़वा म संदूक के गहना के रखवारी , भांवर म अशीष, सब म अगुवा फेर नखरा ओई *** घोरन *** बात बात म घर लहुट जाए के धमकी ...
ओ फूफा ल मना के लाही कोंन गुरु Rahul Kumar Singh ?
जानथे गुरु ओकर कर नर के पाना पेंचीस के लम्बर ...
***
सुख तो सुख दुःख घलो म *** घोरन *** रिकीम रिकीम के मिलिस
बिसनाथ सिंग के जवान बेटा नवल बाबू सांप चाबे म मरगे...
अंकरस के नांगर फंदाये रहिस , सारे डोमी हवा खाये निकरे रहिस ?
के नांगर के हलचल म भागे के फिराक म मुड़ी हेरे बील तीर सपटे रहिस ?
बाबू के गोड़ काय माड़ीस खबा खब लऊक दिस ...उगल दिस जहर ...
नवल बाबू झट कारिस गोड़ ल त सांप के मुं छूटगे गोड़ ले ...
फेर लऊकीस सांप आउ संजोग देख फेर हबरा डारिस गोड़ ल ...
गेथल दिस दु घं आउ मातगे कल्लाई .... देखा देखा होगे ...
तुरत फुरत अस्पताल लाइन ...संगे संग दवा-,दारू चलिस... बेलासपुर लेगिन --- फेर भगवान के लिखा नवल बाबू परलोक सिधारगें ...ॐ शांति
बिसनाथ गउँटिया अब्बक हाथ म हाथ धरे रहिगे ...
दूसर दिन जुरगे बड़ बिहान ले नवल बाबू ल बिदा करे ...
" घोरन घलो खोज लेथे घोरे के घरि ,,
बहुत मुश्किल है
भेंड़ों में भेंड़ खोज पाना
भेड़ों में भेड़ खोज लेती है भेंड़
और भेड़ों में भेंड़ खोज लेता है भेंड़पाल ( चरवाहा )
या फिर घात लगाकर खोज लेता है भेड़िया ...
घोरन खोज लेथे बखत ....?
*** घोरन *** कभू समे कुसमे नई गुनय ... न देखय ...
ओ ह अपन आदत के खातिर लचार रथे सुरु होगे ओकर गुन ...
तुरते पंडित बलवाके पंचक देखवा डारिस ...
गांव म टहलू करा हाँका परवा दिस लकरी छेना जोरा हो ...
बड़े नोनी पढ़े गे हवय बेंगलूर आये नई ये तभो चला चला ...
हबर तबर करके सबला हचपचवाके नवल बाबू के देंह ल बेलासपुर ले बलवा डारे रहिस भले लाश ह ओलियाये रहिस फिरिज म ...
बांस कटवाके मयाना बनवा डारिस ...महाराज खड़े होगे पिण्डा पारे बर
गांव भर के मनखे कोच कीच ले अंगना म भरे अगोरत अब काय होही
ककरो हिम्मत नई परिस पूछ देखे के बाबू ल तला पार ले जाये बर कब नहवाबो ? कब ले जाबो ?
नोनी के हवाई जिहाद नई आइस ... बादर पानी के सेतिर टरगे तिथि ...
ए दे ...ओ दे... चलत हन... होगे ... कहत सुनत सुनात घोर दिस दिन ल
गांव के मनखे कल्लागे आखिर दीनदयाल बाबू बमागे ... कहि दिस ...
कस रे सारे रमाकांत तैं सारे रहे आखिर म जात चिन्हाऊ कबीरहा न
सारे पईनका आखिर मरनी घला म तोर कन्हिया डोला देहे न सारे घोरन
बिदा होइस नवल बाबू दिन बूड़तहा आगि मुं म परिस दिन बूड़त ...
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फूफू दाई बछर के बछर आथे तीज, तिहार, छट्ठी, छेवारी म बिन संकोच
बहरतीन दीदी के मया काबा म नई धरावय न गाड़ा म सकलावय ...
सदा हंसमुख, सदा हाँसत आइस आउ बिन जोरन धरे घला हाँसत गईस
कका, काकी , भाई , बहुरिया जे मेर पाईन ते मेर खटिया तरी ढ़लँगगे
तकिया, सुपेति, मच्छरदानी, के छोंड़व बात हो ...बिहानियाँ ले संझा सबके खंझा देख के फेर जे अलवा-जलवा पाइस पेट म पाइस आउ खुस
बिहानियाँ उठके दतवन मुखारी करके कुंआ ले टेड़ा म पानी हेरके नहा लिस ...गज़ब के आदत ...साबुन तेल चुपरे बर मिलगे बड़ नीक ...
नई मिलिस त वाह वाह ...तेकर सेतिर माताराम ओकर खंजा ल पहिली के पहिली संगे संग बनाये राखिस उमर भर ....
दीदी उमर भर अपन मया म धोर के राखिस जम्मा घर ल...
घोरन मनखे ल बबा Ravindra Sisodia एके घरि म मुरली डीह के रद्दा धरा देंथें !
***
फेर ओहि मेर हमर मौसी गज़ब के नखरा आदत जबड़ घोरनहीन
सहर म मौसिया के नौकरी के सेतिर बड़ नखरा
तीन ठन टुरी च टुरी लईका ओहु मन गत के न गढ़न के ...
बेन्द्री कस टूक लाल त कभू निमगा पींवरा, त झकनन हरियर रंग पहिरे
मुड़ म पिलास्टिक के मटुक लगा ऐति ले ओती रेंहो चेंहों करत रहय ...
माताराम हमर बड़े भाई के बिहाव म नेवता पार के ले आइस ...
होंगे नखरा सुरु मैं तो हगनहा खोली वाला घर म रहिंहा नहीं तो ...
माताराम अपन बहिनी सीता दाई घर ओकर बेवस्था करिस ...
बड़ घोरन रहिस मौसि दाई कभू एको ठन नेंग म समे म नई हबरिस
न खाए के बेरा म संग दिस कभू कंघी, त कभू लिप्सटिक त कभू कुछु
रोज नवा नवा बहाना हक खवा दिस छै दिन म छत्तीस ठन निपोरा ...
चूल माटी खने म बेरा, मंत्री पूजा म कलर कईया , बर बिदा म तेरा ढेंगचाल , मौर परछे म लुगरा के तिन्नी सकेलत म बेर पहागे ...
संग म बहिनी पुनिमा के घलो गुंरवाठ बिहाव रहिस न ...
तेकर सेतिर सब नखरा नौटंकी चल गईस ...नहीं त बाबूजी ...
ऐति पुनिमा के बिदा होइस ओती हमर *** घोरन *** मौसी बिदा
नौकरी,घर, परिवार, नता-गोता, समाज म अरे राजनीति, धरम, खेल, खिलाड़ी, गली, खोर, गांव सहर म घोरन ह बड़ दुखदाई हवय ...
फेर कभू-कभू ई घोरन उकील Ashok Agrawal मन नठाये बुता ल बना घलो देंथें ।। सहर के कोरट म बोकरी चोरी के मामला ल घोरत घोरत छै बछर पेशि रेंगा देथें ।।
बस यूं ही बैठे-ठाले
28 दिसम्बर 2024
मेरे गांव में ये चरित्र भरे पड़े हैं नाम अंकित करने पर उन्हें स्मरण करना कम उन्हें बदनीयती से बदनाम करना अपमानित करना ज्यादा होता है
मेरे अपनों के पुण्य स्मरण में यह कथा जिनसे चाहे,- अनचाहे समय दुख और सुख में कभी लम्बे हुए तो कभी क्षण भर में बीत गए ।
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