@ १...२ का ०४ और ०४...०२ का http://xn--d4bc.com/ बेर्रा
बारा मिंझरा ..बारा जतिया ...चुरगे त अब खोज ..अलग भाजी के सेवाद
खोवा गे भाजी नून मिरचा, दही, महि, बोइर, अमचूर, अमली सब डरागे
लाल भाजी, मखना भाजी, गुंर्रु भाजी, पोई भाजी, मेथी भाजी, मुनगा भाजी, खेंड़ा भाजी, चना भाजी, चौलाई भाजी, पालक भाजी, गोभी भाजी, करमत्ता भाजी, सब छांट निमारके रांध दिन ...
परगे फोरन मिरचा, लसुन, के फेर देख ओकर मिठास ...
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बेर्रा साग म माताराम पऊल दिस गोभी, गोभी के पान, ओकर डेटरा, भांटा, सेमी, कुंदरू, डोंड़का, तरोई, मखना, मखना भाजी, आलू, खेंड़ा,
चेंच के छोड़ें सब्बो भाजी, फेर कोंहड़ा आउ कलेरा के छोंडे सब्बो साग ओकर फोकला समेत गदबद ले चुरो दे सब्बो ल बीड़ के करईहा म ...
पूरा साग करछट रंगके हो जाथे ,अरे लसुन, जीरा, सरसों के फोरन घलो रथे राम जी तेमा धनिया, मसाला सब्बो डारके बड़बड़ ले चुरो डार...
आजकल एला मुक्स के मिक्स साग कथें सहर म ....
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बेर्रा रोटी के चलन होगे हवय नहीं त पहिली निमरा रोटी परोसाय ...
अंइरसा,गुलगुला, ठेठरी, खुरमी, खाजा मन किसिम -किसिम के खजेना
फेर सोंहरी, चीला, चाउर के अंगाकर, गहुँ के अंगाकर ... के बाते अल्लग
तेकर ले ... चुनी के रोटी म उरीद दार के फोकला संग गहुँ पिसान ...
अब तो गहुँ, चाउर, सोयाबीन, उरीद, चना, बाजरा, जौ, कोदो, कुटकी,
सब ल साँझर मिंझर कर देथें फेर गदफदवा के सान दे ...
अब तरी म छेना के आगि फेर परसा के पान के पतरी तेकर ऊपर मिंझरा पिसान फेर ओला ओहि परसा पान म बरोबर तोप दे ...अब ओकर ऊपर फेर छेना के आगि ...चुरे दे मतंग मसमसहा छेना के आगि म रोटी ...
एहू सारे ह बेर्रा बेर्री रोटी आय ...
लाल के होवत ले चुरोय ए रोटी फूल जाथे देवढा अपन हिसाब ले ...
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दार घलो आजकाल बड़े बड़े डहर के होटल / ढाबा म मिंझरा चुरोत हवय
दार के घलाव महिमा अपरम्पार हवय ...
दार जेला पिसवा के बने जात के बघार के कढ़ी बना डार ।
फेर मन परय त नई चुरोये त घाम म बगराके सुखो डार, ।।
राहेर, मसूरी, लाखड़ी, उरीद, मूंग, चना, मटूरा, मटूरी , चनौरी,
भाजी आउ दार के अंचरा आउ छाती के मया नेम धरम हवय ।
भथुवा भाजी संग मसूरी दार सैघो डार के बने दार ...डार
लाल भाजी संग चना दार डार फेर लाल सुख्खा मिरचा के फोरन ...
चुरगे कभू मिंझरा दार त ओकर सेवाद पूछ झन
काबर होगे बेर्रा दार कभू चेत करे ह ...?
अरे सिरागे दार रांधत रांधत फेर थोर-थोर बाँहच गे बस होगे बेर्रा
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नून... शक्कर...गुर ...फिटकुरी... संजोग एमन घूरगे पानी म
कर देख अलग कतका असकट आउ किसकिस लागहि
एहि कस फूत्का ...चाउर पिसान...चना पिसान... गहुँ पिसान मिंझरगे
अब सूपा-चलनी कामा ओला निमारबे , चालबे के पछिनबे ?
पवन हवा म घूरगे, मिंझरगे , धूंगिया , कुहीरा, काय जिनिस म छानबे ?
दूध म पानी मिला देहे चुरोके पानी ल उड़वा देबे के दूध ल अंउटवा देहे
पानी भाफ बनके उड़ीया गईस त बाँहचीस दूध ओहि गाय के ढेंटी ले निचोये राउत के बाल्टिल म धरे दुहे वाला ?
आ चल मिंझार दे सब तला के पानी म गंगाजल ल ...
गंगाजल ले पानी आउ पानी ले गंगाजल ल कइसे निकारबे ???
ए मन कुछु गांव के जनऊला नो हय ..., हमर जिनगी के कथा आय !
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मिंझरगे जिनिस तेला निमारके कुछु उदिम करके फेर अलग कर लेबे ।
मिंझरगे हवय जुन्ना समे ले हमर बात, बेवहार, रहन-बसन, रीत,-रिवाज
धरम, लेन-देन, जिंहा बसेन ते घर , परवार, धरम संग नेंग ....
छत्तीसगढ़ म आके बसेन २५० बछर पहिली हमर जात... मिंझरगे
बर-बिहाव, मरनी-हरनी थोरकन हमर थोरकन ओकर सनागे एके म ...
का मतलब ओकर जस के तस रहे म काय नफा-नकसान ?
मिंझरगे , अलगेच हवय काय फरक परिस मानिस ते मानिस ...
नई मानिस ते ह एक नहीं एक हजार नवा रद्दा निकार डारिस ।
***** अकारथ *****
लोक मरजाद ले बाहिर गईस जे काम, नेंग, नेम, धरम के कतको बड़ बुता ...सुमेर पहार कस बुता कउड़ी काम के बरोबर नई रहय, मुरमुंग के फोकला तो आगि म डारबे त गूँगवा के भुंसड़ी भगोही फेर ए ह कांहीं काम के ? बंगहा कांस कस थारी के बटलोही कस होथे काय ?
ऐमा धरे जिनिस झटकन कस्सा जाथे ...कतको जतन कर ...!
फेर एहू ह निमगा गल्लत ऊपर गल्लत आय के आन के स्वारथ म अपन जिनगी ल ख़पो आउ आखिर म मनशे राख कस बोहवा देंवय !
***** झन बन मरिसा के तीस साल जुन्ना दाना परे... गुर के तोला चिखत- चिखत सिरवा देंवय मनखे ओखद बनाके ....
***** झन बन कोला-बारी के झुनकी तरोई के डहर चलत गरुआ झटक के चर देवय ...
***** काय करबे लकठा के पीनखजूर बनके ....जे पाहि ते लबदेना मारके डहर चलती Rakesh Tiwari किलिक कर देहि ...
जे हमला पा गे बउरे बर तेकर बर हम बन गयेन भगवान ....!
आउ जे ह चूक गे के नई धराऊ परेन बस एहि एक झन बर * अकारथ *
एक दिन संझौति बेरा म गुरु जी Rahul Kumar Singh ल पूछ देखें
बनूँ तो क्या बनूँ ...?
और आखिर क्या बनूँ ...?
बना इंसान तो नाहक मैं मारा जाऊंगा ,...!
बस यूं ही बैठे-ठाले
प्रतीक्षा में कि इस बरस नया क्या हो जाएगा ?
22 दिसम्बर 2024
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