त्रेता जुग म बाली आउ एक झन राच्छस के घन घोर जुद्ध होईस
कथें जी बंहचाये बर राच्छस खुसरगे जुन्ना खोह म......
ओ किल्ली परत ले पटका पटकी मार पिटाई.... अनसम्हार लड़ाई
देर सबेर खोहरा ले लहू के नदिया बोहगे ....बाली के छोटे भाई सुग्रीव मन म बिचार करिस गये ददा रे ए चण्डाल राच्छस मोर बड़े भाई बाली ल मार डारिस त तो अतका कन लहू बोहात हे ....
बाहिर निकरही त मोरो बुता ल बनाही ....इही सोंच बिचार म
बस भोरहा आउ जी के डर म खोहरा के मुँहड़ा म ओधा दिस बड़का जनिक पखना ल , हरप दिस पखना .....
ओला ढकेल के निकर आइस बाली फेर तो पूछ झन....
जगत माता पार्वती जी घला देबी देंवता मन के बेर कुबेर आये आउ बरदान मांगे म धीरज टोर डारे रहिंन होंहि त शंकर जी करा बिनती करके सोन के लंका ल बनवाये रहिंन, घर म गोड़ नई मढ़ा पाए रहिंन ...भुछि दछिना म रावण मांग लिस लंका ल ....
नहीं त तीनों लोक चौदहों भुवन म पहिली जग के महतारी होतिस जेकर घर पहिली ***** अड़गसनी ***** लगे दिखतीस ।।
सब मन म बिचार करिन होहिं के झन टरय के टारे सकय ओधा ल
मोर बिचार म त कौंहु सियान Ravindra Sisodia मन्त्रा दिस होही लगा दे कुछु अड़गड़ बेड़ा करके त हेरे धरे म थोरकन तो बेरा लागहि । फेर का..... लगा दिखींन होंहि बेंढ़ा लकरी के छेंका ....
,तभे एकर ना परिस होही ***** अड़गसनी ***** गुनत रहव
मोला लागथे ओ समे म घर कुरिया नई सिरजे रहिस होही ...
त कहाँ के तारा आउ काय के कूची फेर ओ बेरा म चोर चिंहाट नई रहिस होही कहाऊक नई लागय ? ... आज घलो कथें शनि सिंगनापुर म कोंहुँ घर म तारा कुची न लगय न कोंहुँ लगावय ।
एक दिन किन्दरत बुलत भेंट करे बड़े बखरी अकलतरा
राघव राजा Raghavendra Singh Akaltara के हबेली म देखत देखत म एक ठन सरई के मुसर कस दुआरी के तीर म गोल लकरी देखें.... मन म बिचार ह कल्थी मारिस ए ह काय होही ।।
गुरु Rahul Kumar Singh बताइन के ए ह दुआरी के आड़ा आय , मैं पूछ पारें ...फेर संकरी घलो तो लगे हवय ...
आउ लोहा के सिटकिनी घलाव ...ओइ मेर डोलत हवय ....
बताइन सब्बो के अपन अपन कथा किस्सा आउ कंथुली हवय ...
फेर चोर बर न तारा बने हवय न अड़गसनी, न संकरी ....
ओ ह कुछु ल टोर देहि कुछु ल उसाल देहि चोर के काय धरम ...
जुग बदलिस , मनषे बदलीन संगे संग सोंच बिचार घलो बदलिस
फेर मनखे के हंकार मनषे के बदलत बेरा लागिस होही तभे बनाय होंहि हमर सियान मन ***** अड़गसनी *****
आज के जुग म सहर म *** $ चेप्टी लॉक $ ***
बड़ मनषे न दिन देखए न बार बर्रा बईला कस मुँहू धरिस कतको बेर कुबेर धमकगे कोकरो घर, मोला लागथे जुन्ना दिन घलो म अइसन्हे होत रहिस होही नहीं त कुकुर बिलाई के रोका छेंका बर दुआरी के आगू पीछू लगा दिन होंहि .....अड़गसनी ?
बस यूं ही बैठे-ठाले
10 जुलाई 2024
***** विनम्र आग्रह *****
मैं नही लगा पाया अड़गसनी नीच रिश्तों के लिए आपसे आग्रह आप अवश्य लगाए अपने घर ***** अड़गसनी ***** विचारों की चेतना की ताकि अवांछित व्यक्ति आपकी मर्यादा को आहत न कर जाए, मनुज से बड़ा और खतरनाक पशु भगवान बना ही नही पाए
अड़ गसनी एक ऐसा अवरोध जिसे आप स्वीकार और अस्वीकार कर सकते हैं, जिसके लिए जाने अनजाने तर्क कुतर्क रखा जा सकता है । जीवन में अपूरणीय क्षति का निदान ***अड़गसनी ***
मैंने खोया है अपना सुकून, मान, मर्यादा, मां और बहन ।।
10 जुलाई 2021 को मेरे पिता की मणि की माला टूट गई थी
मेरी छोटी बहन सुनीता सिंह को उसके पुत्र युवराज सिंह ने मुखाग्नि दी थी ... एक विचार जिसे साझा किया ।
बस चिंतन करें मन लगे तो अमल करें
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