@#% ...बहदा...@#%
परबत ले उतरत बिन लगाम के पानी के धार गंगा कस....
टोरत, फोरत , एईठत, रमजत, कूदत, फांदत, अपन मऊज म...
उतरथे ऊपर ले तरी त बोहाके ले जाथे ...संग म सब्बो जिनिस ल
नई देखय नवा, रद्दा, नवा डहर, ओई ह बनाथे नवा रद्दा...
ओकर बेग ल अपने ह नई थामे सकिस ओई ह गंगा आय
बहदा .....जेकर बेग ओकरे मन ले आर पार रेंग देथे
भागवत कथा,बेद, पुरान म सुनेन राजा सगर के नाती भगीरथ ह एक गोड़ म ठाड़ होके करिस जप तप त आइस गंगा ह....
गंगा कहिस जा तोर तप ह मन ल मोह डारिस ... जा...
भगीरथ मैं आँहा तोर पुरखा मन के तरन-तारन बर ...
फेर देख ले मोर बेग ल कोनो नई थामहे सकिस त...
झन कहिबे ए दे सब्बो ल बोहवाके ले गईस...देख ले ...
सुन ले...गुन ले...
भगीरथ करिस बिनती आशुतोष महाराज के ....
अवघड़ दानी महादेव जी जटा ल छरिया दिस फेर बाँधिस त घूमर घूमर रहिगे गंगा जटा म कई बछर... सब गरब सटक गे...
बड़ मान मनव्वल म... बड़ केलऊली म ... लटपट ..लट ल छोरिस
पाइस थोकन मुँहड़ा पुरके बर ...मगन होगे गंगा
गंगा पाईस रद्दा मांगे म त फेर निकलिस त घलो टोरत फोरत...
जे नरवा, झोरकी, नदिया जा मिलिस ओकर म बनगे गंगा ....
*** बहदा *** एक ठन तिरिया के सुभाव आय ?
जे ह बोहाथे गंगा कस उफनत, रेलत, सकेलत, पानी संग कचरा, कूटा, गाजा, मईल, पथरा, माटी, बन, कुसा, सबके संग धरे...
फेर थिरावत बनारस आउ प्रयाग म करत तरपन प्रानी के...
जेकर भाग परिस नहा डारिस ....बुड़ बुड़ के
आउ जेकर भाग ले छुटिस ते ओई म सेरागे
फेर तिरिया बनगे कभू बंजर बहदा त ???
निघिरघिन्न हो जाथे काय देखे सोंचे घलाऊ म किसकिस
नई सुहावय संग म रेंगाई ह कोन उतरही ओमा फदके बर
अपने कस बना देथे ...
बड़ किस किस गारी आय महतारी बर ?
सुरता आथे कवि के बानी...
प्रभु मोरे अवगुन चित न धरो
एक नदिया एक नार कहावत, मैलोहि नीर भरो
जब मिलके दोउ एक बरन भये सुरसरि नाम परो
प्रभु मोरे ......
फेर कभू
बस यूं ही बैठे-ठाले
19 मार्च 2024
होली की शुभकामनाएं |
ReplyDeleteवाह. शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत बहुत शुभ कामनाएं
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाएं
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