चूल्हा के आगी आय मोर महतारी
कभू-कभू लागथे भौरी मारत पानी के लहरा आय दाई
फेर कोहुँ दिन ओकर छाती ह भुंइया कस पसर जावय
ददा बताइस तोर महतारी पवन आय बगर जाथे सब जगा
दीदी कहिस हमर महतारी अगास आय
दाई लइकई म चित्त सुत जावय आउ गोड़ म फ़ांस लय गोड़
ऐढ़ा-बेढ़ा फंसगे हमर गोड़, आउ अध्धर होगे चुतर
डेरी हाथ जेवनी म आउ जेवनी हाथ डेरी म धरागे
फेर कभू-कभू माताराम बईठ जाय खटिया के पाटी म
आउ फ़ांस देवय दुनों अपन गोड़ के आजू-बाजू
एहु म फेर हेल्ला पर जाय हमर दुनों के चुतर
हवा खुल जावय पेट हरू हो जावय, गोड़ के गुझियांये
सकलाय जतका नस रहय ते मन पट पट ले माढ़ जाय
ई खेल आउ खेलवारी म रहीस हमर बैज्ञानिकता
ओइ गीत मोर महतारी के आजो घलो किंदरत हे मन म
***** झुलिया झूल कदम के फूल
बाहरत-बाहरत कौड़ी पायेन ।।
एहि कौड़ी के नुने बिसाएंन
ओहि नुने ल गईया खवाएंन ।।
इहि गईया ल गयेन चरायेंन
ओहि गईंया ल गयेन धनायेंन ।।
इहि गईया के दुधे दुहायेंन
ओहि दूध के खीर पकायेंन ।।
आ जा राजा मुहूं ल खोल
ए दे खीर गुप्पूक ले ।।
माताराम गुड़ेरिया चिरई कस फुर्र ले उड़ियागे
सोचत हावव अगास म कोन मेर होही
अगास म देखथौं चोर आउ खटिया (सप्तर्षि) के दुरिहा म
***अगास दिया *** बन रब्बक ले चमकत मोर महतारी
गीत सुनावत हे मोर बहिनी सुनीता ल
***अटकन बटकन दही चटाकन
लऊहा लाटा बनके कांटा
तुहूर तुहूर पानी आवय
सावन म करेला फुटय
चारों ( पांचों ) बेटी गंगा गईँन
गंगा ले गोदावरी
पक्का पक्का आमा खाईन
आमा के डारा टूटगे
भरे कटोरा फुटगे
काबर भरे कटोरा फुटगे ?
कईसे भरे कटोरा फुटगे ??
आश्विन कृष्णपक्ष तृतीया, पितृ पक्ष
12 सितम्बर 2022
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