गुरुकुल ५

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Sunday, 20 January 2013

विद्यालय 2



संसार में शायद तीन जगह सब बराबर हैं

1 मंदिर  भगवान के समक्ष जहां किसी के सामने सिर नहीं झुकाना चाहिए
2 खेल का मैदान जहां सब अपनी क्षमता, और योग्यता के आधार पर होते हैं
3 विद्यालय जहाँ ज्ञान और गुरू सुपात्र शिष्य की प्रतीक्षा में बाहें फैलाये रहते हैं

यहाँ कहाँ होता है रंग, जाति, वर्ग, समुदाय, धर्म, और लिंग का भेद?

बरसता है ज्ञान सावन की रिमझिम फुहार बन
सूरज की तेज किरणों से आता है ओज
अध्यापक बच्चों के हृदय धरा पर प्रेम अंकुरित कर
गगन तक फैलने का समान अवसर दे जाते हैं
जहाँ अनल की प्रखरता में कुंदन सा चमक ले
निखर उठते हैं छात्र छात्राएं इन्द्रधनुषी छटा संग
और गणवेश समता का पाठ पढ़ाती है

एक ऐसे ही अवसर को आप सब से साझा करता है
पूर्व माध्यमिक शाला पाटियापाली
विकास खंड करतला, जिला कोरबा **छत्तीसगढ़**




गणवेश का महत्व समझाती श्रीमती आभा सिंह





 श्री लखन लाल उइके जी चित्र लेते


पेड़ की छाँव जहाँ हम प्रतिदिन प्रार्थना करते हैं
अगली कड़ी में यही आम का पेड़ अपनी कथा लेकर




सहायक आयुक्त श्री एन .के . दीक्षित जी
और वि . खण्ड शि . अ . श्री एस . के पांडे जी
का वरद हस्त शासन की योजना के क्रियान्वयन में


बच्चों की बातें साझा करते हम सब


गणवेश वितरित करते क्रमशः के आर पैकरा, एम आर साहू,
श्री मति सुषमा पंकज, और श्रीमती आभा सिंह दीक्षित

क्रमशः
विद्यालय में मेरे सहयोगी जिनके सहयोग के बिना कोई भी काम
कर पाना आसान नहीं होता वरन मुश्किल ही होता है।
सर्व श्री के . आर . पैकरा
श्री के . एस . पैकरा
श्री मति आभा सिंह दीक्षित
श्री मति सुषमा पंकज
श्री लखन लाल उइके
श्री एम . आर . साहू
श्री बी . आर .यादव
आभार सहित रमाकांत सिंह

20 comments:

  1. गाँव की प्रष्ठभूमि में स्कूल के सुन्दर फोटोग्राफ्स।
    लेकिन यहाँ हीरो रमाकांत जी क्या कर रहे हैं ! :)

    फोटोज के साथ संक्षिप्त विवरण और भी बढ़िया रहता।

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  2. संसार में शायद तीन जगह सब बराबर हैं,
    १ मंदिर,२ खेल का मैदान,3 विद्यालय,,,,

    रमाकांत जी आपसे पूर्णतया सहमत,,,
    चित्र साझा करने के लिए आभार,,,,,

    recent post : बस्तर-बाला,,,

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  3. सुन्दर प्रस्तुति ,,,
    सही कहा आपने
    मंदिर, मैदान और विद्यालय यहाँ हर कोई समान है .
    साभार !

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  4. बहुत बढ़िया पोस्ट

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  5. तो आप यहाँ हैं रमाकांत भाई ...
    कब से यह जगह बिछुड़ गयी मुझसे ..आप भाग्यशाली हैं !
    शुभकामनायें भाई !

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  6. गाँव के सुरम्य वातावरण में विद्यालय देखकर बचपन के दिन याद आ गए
    हमारे गाँव में पाठशला के नामपर एक विशाल नीम का पेड़ हुआ करता था :)
    और हम सब उस पेड़ के निचे बैठे पढ़ा करते थे ...सूरज के किरणों के साथ जगह भी बदलती रहती !
    बढ़िया चित्र है !

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  7. सार्थक विचार, सुन्दर चित्र और सहयोगियों के परिचय के लिए आपका आभार ... शुभकामनाये

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  8. आप सभी को मंगल कामनाएं ! सराहनीय पोस्ट !

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  9. meri tippani hogi dekhiye .....

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  10. मानों आधुनिक गुरुकुल.

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  11. सच कहा है ... तीनों का महत्त्व कम नहीं होना चाहिए ...
    सभी चित्र सुंदरता से कैद कर रहे हैं प्राकृतिक क्षटा को ...

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  12. बढ़िया पोस्ट सुन्दर चित्र..

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  13. वाह सचमुच बचपन के दिन याद आ गए ....!!

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  14. ऊपर वाले ने मौका और अवसर दिया तो ऐसी ही जगह जाकर रहने की इच्छा है सिंह साहब।

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    1. आदरणीय संजय भाई साहब आप एक अवसर निकालिये इश्वर दयालु हैं आपको विद्यालय में देखकर बच्चे , शाला में कार्यरत सहयोगी अति प्रसन्न होंगे साथ ही मेरा जीवन धन्य हो जायेगा , आप जैसे विद्वान का मार्गदर्शन मेरे विद्यालय को मिला . आपकी सराहना और आशीर्वाद का ह्रदय से शाला परिवार आभार मानता है .

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  15. आपके सहयोगियों के बारे में जानकर और उनके प्रति आपके विचारों से हार्दिक प्रसन्नता हुई।

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  16. उम्दा प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई...६४वें गणतंत्र दिवस पर शुभकामनाएं...

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  17. हमसे साझा करने के लिए आभार..

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  18. जम्मो के दर्शन होगे :)

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