गुरुकुल ५

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Thursday, 27 October 2011

एक ही पल में


छुप गया सूरज
क्षितिज में आज
नींद और सपने
जीवन की डोर
रुक गये पलकों पर
एक ही पल में




घर की दीवारें
मंदिर के कलश
गिरिजा के क्रास
मस्जिद के गुम्बद
कर दिये दफन
एक ही पल में

बंद हो गई राहें
टूट गई पगडंडियां
तंग पड़ गये आंचल
फैल गये सजदे में
हिंदू-मुसलमां मेरे
एक ही पल में

ये हादसा क्यों
एक ही पल में
और क्यों इंतजार
इन हादसों के लिये।
मेरे घर का आंगन ही
एक ही पल में।

14-11-2005
भारत-पाकिस्तान सीमा पर और लीबिया भूकम्प में मारे गये
विश्‍व धरोहर बच्चों की याद में समर्पित

1 comment:

  1. बहुत ही सुंदर .....प्रभावित करती बेहतरीन पंक्तियाँ ....

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