गुरुकुल ५
Thursday, 27 October 2011
बनूं तो क्या बनूं
बनूं तो क्या बनूं और आखिर क्यों बनूं?
बना इंसान तो नाहक मैं मारा जाऊंगा।
बना राम तो बनवास चला जाऊंगा
लक्ष्मण बन गया तो
शक्ति सह पाऊंगा?
सीता बनी तो अग्नि परीक्षा होगी।
कैकेयी बनी तो
बना दशरथ तो
पुत्र शोक सहना होगा।
कैकेयी बनी तो राह ताकनी होगी
रावण बना तो
दसशीश बन पाऊंगा?
बनूं तो क्या बनूं और आखिर क्यों बनूं?
बना इंसान तो नाहक मैं मारा जाऊंगा।
कृष्ण बना तो
महाभारत रचना होगा।
धृतराष्ट्र बना तो
अंधा हो जाऊंगा।
गांधारी बनी तो पट्टियां बांधनी होंगी
कुन्ती बनी तो
करन पाना होगा।
करण बना तो
सारथी सूत कहलाऊंगा
भीष्म बना तो, शर सेज ही पाऊंगा
बना अर्जुन तो
स्वजन हत पाऊंगा?
बनूं तो क्या बनूं और आखिर क्यों बनूं?
बना इंसान तो नाहक मैं मारा जाऊंगा।
बना बुद्ध तो यातना सह पाऊंगा
यशोधरा बनी तो
राहुल पालना होगा।
लक्ष्मी बनी तो तलवार उठानी होगी।
आजाद बना तो
खुद को मारना होगा।
बना भगत जो
फांसी चढ़ पाऊंगा?
और जो बना गांधी
गोली झेल पाऊंगा?
बनूं तो क्या बनूं और आखिर क्यों बनूं?
बना इंसान तो नाहक मैं मारा जाऊंगा।
10.06.2002
चित्र गूगल से साभार
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
अच्छा लिखा है..वैसे जो हम हैं वही रह जाए तो जीवन सार्थक हो जाए.
ReplyDeleteरमाकांत जी पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ।
ReplyDeleteदीप पर्व की ढेर सारी शुभ कामनाएँ!
प्रवाहमयी विचारणीय रचना.
ReplyDeleteसंजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
पर आपका स्वागत है
http://sanjaybhaskar.blogspot.com