रामदयाल दाऊ के एक ठन बेटी शहर के पढ़े लिखे
घर के सब्बो बुता म गुनिक , रान्धे पसाये , जुनहा, फटहा , ओनहा घला ल अतक बढ़िया संवार के खिल देवय त गांव के भौजी, फूफू , भाई, बबा, कका, काकी, के तो बाते छोड़ा, पास परोस के बहुरिया ओकर बान के मारे ओला दीदी दीदी कहत थक जाय ....
एक बूंद माथा म टपक के थिरा भर जावय त नहा डारिस...
दिखे म ०८ कोस म ओकर ले सुघ्घर कुंआरी बेटी कोंहुँ नई रहिंन ।
ओकर दाई कौशिल्ला नान पन म छेवारी म कच्चा परगे त ....
भगवान घर चल पराईस .... पहिली पहल गांव घर म लइकई म पर्रा म बइठार के भाँवर किन्दार देवय ...कम उमर म पठऊनि कर देवय .... आउ गांव म छट्ठी छेवारी कर देवय त पहिलीच गोड़ ह गरू होईस तेहि छट्ठी म कौशिल्ला ह फौत खा गे ।। गिरगे गाज सब करे धरे म अन्धमन्धागे रामदयाल दाऊ फेर छाती ल पोठ करके सह लिस ...दाऊ बर घातकन बिहाव बर सोर आइस ... फेर बाह रे मंझला दाऊ ...हिरक के नई निहारिस कोंहुँ माई लोग ल ..... काट दिस बैरी कस रात उमर ल
रामदयाल ०२ भाई एक बहिनी दीनदयाल ओकर पठियरा भाई एके ठन बहिनी सुनीता ...तुलसी कस चौरा....
गुन म अपन दिन म ओकर छां ल नई खुन्दे पाइन ओकर संगी सांथी मन ......भाई... दाई... ददा... आउ अपन फूफू के गुन पा गे रहिस बस नाक के सोझ म आउ ओहि म आइस
जेकर जइसन घर दुआर तेकर तइसन फईका ,,
,आउ जेकर दाई ददा तेकर तइसन लईका ....
बस ईँ हाना ल उतार दिस यमुना अपन फूफू सुनीता कस गुन आउ बान म .... जे डहर म रेंग दिस मनषे सुरता करिन फूफू ल...
जइसे सुनीस सुनीता के लल्ली भौजी छोंड़ दिस मोर मइके के अंगना... सोर के संगे संग बिन दुआरी ओधाय आगे सोरहार संग
अपन मइके आउ दसा दिस अपन अँचरा ल भाई के आगू
भाई ददा जनम भर तोर करा कुछु नई मांगे ग .....
आज मोर अँचरा ल उन्ना मत करबे ...ग ...
एकर बाद जनम भर कुछु नई मांगव भइया ....
रामदयाल सन्न परगे हे राम काय खंग गे सुनीता ल राम जी...
बोल नोनी का लेबे अरे घर तो तोरेच आय ...बोल भईया काय...
सुनीता मांग दिस रामदयाल के करेज्जा के कूटा ** दीदी ** ल
भईया दे दे दीदी ल मोला मैं ओकर महतारी बनके पोंस लेंहा ।।
रामदयाल बहिनी के मया पा आंसू म हदर गे .....
रोवत रोवत कहिस नोनी दीदी ह तोर तोरेच अंश आय जी
मैं भाइ तैं मोर बहिनी एकेच तो आन नोनी काय फरक हावय...
फेर देख तो काल ब मनषे मन कही देंही नोनी ...
ए मनखे बान आउ सुभाव ल मोर ले जादा तैं जानत हवस जी
हड़िया के मुंह म पराई ल टोप बे , मनखे के मुंह म काय तोपबे जी
दुनों भाई बहिनी एक दूसर ल रपोट के सुधा भर रोईन ...
फेर थीराके दाऊ कहिस एकर नां धर दे ..नोनी
अभी अवइया जवईया मन घर म एला दीदी.... दीदी कथन ...
भइया नदिया कस निरमल हवय नोनी त जमुना धर दे .....
परगे दीदी के स्कूली नाम यमुना देबी फेर रहिगे दीदी के दीदी
कोन कथे *** खदुहन धान बादशाह भोग, देवभोग, कुबरी मौहा, बासमती, एच एम टी, जीरा फूल, *** धान के करगा नई होवय.....
अरे होथे मालिक होथे जी सब म करगा होथे ....जी
अईसनहे मनषे घला म करगा होथे ......
कांसा के थारी लोटा, गिलास, चरु ,सैकमी, बटलोही, गंगार ....
कांस के सब्बो बरतन मन मिंझरा धातु के बने हवय .....
नेर कांस आउ फूल कांस म तामा आउ गिलट ह 12 आना मने कि ७८ % आउ ४ आना मन कि २२ % म मिंझरा रथे त ठीक ठाक ...
,नहीं त ....दतकी कन होगे आन तान त होगे मरे बिहान ....
ईँ ही कांस ह अपन मनके बँगहा हो जाथे .......
बने सुग्घर रान्धे पसाय दार, भात, साग ल मढ़ा दे.... एकेच घरी म कस्सा जाथे । इही बुजा पूत ह आय
***** कचकुटहा *****
सोंचत हवव के कच + कुट + हा कईसे बने होही
बबा ह जी बबा Ravindra Sisodia कछु सुर लमावा हो...
कच +कुटहा कुछु गुनत नई बनत आय एकरे कस .....
जेकर जात ,धरम, बरन, लिंग, बान, सुभाव, चरित्तर के कांहीं ठिकाना नई ये जेकर चिन्हारी खोजे बर पर जावय ओहि हर आय
# कचकूटहा # थोरकन कुछु कांहीं कर परिस त छन्न ले कई कुटा
सकेले म दुख पर जावय , दतकिकन भोरहा म चूक होईस त कटाये, बोंगाये के पूरा बुता हो जाये ।।
कारन ओ ह आय ननजतिया होगे ओकर गुन धरम ऑन के तान...
घर-परिवार-समाज म
बर , बिहाव , मरनी , हरनी, तीज , तिहार म कांस के बरतन के बड़ महत्तम हवय ,,,,, बिहाव के पंचहड़, फेर कन्या दान म सैकमी के तरी परात मढ़ा के रोचन पानी म दाई ददा संग भाई ह संग रथे कन्या दान आउ बिहाव के बड़े साछि ...
पथरा के सील संग गंगार लोटा के जोरन के महात्तम काय कहव ...
पुरखौती बेरा म एक तो माटी के बने हंडिया म भात, दार, साग चुरय नहीं त नवा बहुरिया होगे त फूटे फाटे ले दुरिहा कांस के बटलोही म दार भात के अन्धन मढ़ा देवय चुरत हे बुड़ुक बुदुक...
बटलोही के मुंह म माढ़े कांस के मलिया अपन बजन के मारे बिन कहे सरक के तोपना बन जाथे आज काल सिटी परोये बर परथे ।।
नेर कांस के बरतन बगबग ले सुग्घर .. राख म मांज दे त ऐना कस .
मोला सुरता हे मोर बड़का दाई करा एक ठन जुन्ना कलदार धरे के कांस के बने हंडा हवय जेला घुरूवा म गाड़े रहिंन आजो तस के तस माँजीस त रग ले नवा के नवा ....
फूल कांस के थारी नई बदलय अपन रंग न जात
कांस के थारी म दुबराज के भात, बटलोही म चूरे राहेर के दार,
कांस के गोड़हा लोटा म घर कुंआ के निरमल पानी, कारी गाय के परो दिन के मथे लेवना के ठोमहा भर घी, पीढ़ा म बड़ जतन करके परोसिस जमुना अपन बाबू रामदयाल दाऊ ल ......तसमहि, बोबरा, बरा, सोंहारी , नूनचरा, मेंथी आलू के साग ....फेर.....
कांस के मलिया म परोसे मखना, बोदी, सकर कन्द के अमटहां साग एके घरी म कस्सा गे ....***** कचकुटहा ***** कांस के मलिया सब परोसे दार, भात, घी, के सेवाद ल खिख्ख कर दिस ...
एक ठन " कचकुटहा ,, कांस के मलिया ह नोनी के पूरा जतन के बनाये सब रान्धे चूरे ल .....
खदुहन धान के करगा तो चीन्हा जाथे , बने देख देहे म
कचकुटहा कांस घला ह चीन्हा जाथे त तिरिया देथें ....
फेर अपन नता गोता म के .....…. चीन्हात ले चुन्दी पाक जाथे ...
सारे ***** कचकुटहा ***** मनषे मरे के दिन म चीन्हाथे ....
अब मरे के दिन म आखिरी बेरा म काय कर लेबे ?
अरे परोसी ल छोंड़ देबे त काम चल जाहि ....
भाई, बहिनी, फूफा, भांटो, दीदी एकर कचकुटहा ल कोन मेर तिरियाबे ...आउ कै घरी बर, फेर तैं तो तिरिया देहे ...आउ ओ ह किन्नी कस चटक के रही गे त...?
बड़ मुश्कुल आय अपन लहू म परे कचकुटहा ल अलगीयाना....
इही किसिम के कचकुटहा गत किसकिस रहिस बड़ घिनहा रामदयाल दाऊ के भाई .... दीनदयाल ...अपन नाम के उल्टा
कभू कोकरो बने नई सोंचीस ...कोकरो लागत गाय, मया करत घर दुवार, नौकरी करत बहुरिया, बुता म मगन किसान, हरियाये खेत भरे कोठी...सब ओकर आँखि म रेती कस कसके लागय ...
जमुना ओकर आँखि के फ़ांस बन गए रहिस ....
कब रामदयाल के आँखि मुँदावय आउ जमुना के भाँवर परय ...
बेटी बिदा होवय त बहरा खेत संग घर म कब्जा करव....
इही गुंताड़ा म दिन बीतय दीनदयाल के .....
फेर भगवान घला के लाठी के कांहीं जवाब नई ए ....
मंगलवार के बड़े फ़ज़ल दीनदयाल के मुंह ह एकंगू अईठागे
मार दिस लोकवा .....बँगहा कांस कस छन्न ले फुटगे
अब दाऊ दीनदयाल दिन गिनत खटिया म करम ल गिनत परे हे ।।
बस यूं ही बैठे -ठाले
२४ जुलाई २०२४
शायद मेरी गलत सोच हो कि हम सभी का भला नहीं चाहते
लोग कुछ तो आज भी जिंदा हैं जो दूसरों की पीड़ा में सुखी
चलो चिंतन कर देखें ऐसा क्यों ?
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