गुरुकुल ५

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Saturday 30 March 2024

***** भितरहीन आउ खवईया *****

बड़ महात्तम आय खवईया के जे मानिस ते जानिस

आज होरी म गुलाल लगिस गाल आउ कपार म ..…
आउ रंग ह उबकगे अन्तस् ले छाती म ..आँखि के कोर ह चुचुवागे
दु महीना पहिली ले बनत रहिस फांदा ...देला बलाबो ...देला घलो
सब सियान के सुरता करेन , कईसे मया करै बबा हमर...
लईका ल तो बबा ह बिगारथे... नाती कुछु गलती करबेच नई करय
कभू बद्दी देहे चल देहे त तोर सात पुरखा तरगे ...
भोलेनाथ ल बिनोबे आज ले कभू नई जावव कोकरो घर बद्दी देहे 
लईकाई म पागे कोकरो सइकिल त ..खेचेक खेचेक डंडी के भीतरी ले हाफ पईडिल म गोड़बोजवा चलिस गाड़ी, फ्रीभील ह छोंड़ देवय
नाँहीं त सटकगे त दुनो पार रेंगे धर लिस सइकिल ...होगे बुता

पहिली कहाँ खाई खजेना .... हटरी म गुलगुल भजिया, बरा, मुर्रा के लाड़ू, करी के लाड़ू, चना फुटेना, आउ मेला म जिलेबी, आलू के  गुलाब जामुन, चना चरपटी बस होगे लइकईँ के खंजा...
फेर कभू कभार कोंहुँ मर हरगे पर गे छुट्टी त ....
इंदिरा उदीयान के चार, मकोईया गड़ेन दे कांटा हाथ गोड़ म फेर..
अमरताल भांठा के बोइर, बनाहील, खटोला, के गंगा अमली,
आउ गिरगे पानी त पूरेनहा, दोखही, पर्रि, रामसागर , लख्खी के धार म चढ़त मछरी ....बाम्हन घला केंवट के सेतिर घर दिस ...
फुर फुंदी उड़ातहे अध्धर ले धरे जानिस तेकर निशाना उच्चे...
केकरा, बिछी के डाढ़ा म डोरी बांध डारिस ते बड़े दाजुगर आय...

जेहर ए डारि ले ओ डारी बेंदरा कस कूद दिस ते ह हमर जोंडी...
ठूठी बीड़ी बबा के कलेचुप धर लाइस आउ संग म दु ठन सईघो बीड़ी संग माचिस के कांडी आउ माचिस फोफि के पट्टी ...
ओकरे कहे म चुरय अमली पेंड़ के निकरे कौआ अंडवा....
बारा बतर के रहय लइकाईँ के फांदा...
हपट गयेन कभू त माड़ी कोहनी छोलागे त संगी मुत दिस...
आज तो सगे बियाये लईका कटाय म नई मुतय .ओरजन घट जाहि 
नाक फुटगे नून पाल , डंडा पचरंगा, ईभ्भा खेलत म त सूंघ ले गोबर आज कोंहुँ ल सुंघों दे त सीधा परलोक धर लेहि ।

कोंहुँ ले बुलके आइस लईका *खवईया* के पहिली दिख जावय
खवईया***** मुखिया मुख सो चाहिए, खान - पान सो एक ।
                     पालय पोषय सकल अंग, तुलसी सहित विवेक ।।
जेकर अन्न पाये के बाद आन के थारी लगय ....
आज घलो मरनी-हरनी, बर-बिहाव के पूजा-पाठ म हवय सियान
ओहि ल ओकरे बर भितरहीन हेरही पहिली थारी...
जुन्ना दिन म पोतिया पहिर के रांधय दार भात ...
बटलोही म चुरय दार, त कुंड़ेरा म दूध , करिया हंडिया म भात
खसखस लोहाटी करईहा म चुरय साग ...त कोन बीमार परय ?
आजो कथें हमर दुआरी ओसारी म ....
महतारी के परसे आउ मघा के बरसे ... बिस्तुर नई जावय ...
आज काल बदलगे भितरहीन ...रान्धथे बिन मया दया के
कोई नेंग चार नई ये कांही श्रद्धा नई ए ...
फुस ले करिस चूर गे, फोस ले करिस उतरगे...
ओलिया दिस फिरिज़ म खा जुड़ाये ल ...पर बेमार...
पहिली तात तात भात, निकरत हे धुआं महकत हे साग
दूध, दही, गुर, घी, अथान, चटनी, बरी, बिजौरी, 
मढ़ाये हवय पठेरा म कौंरा सिराये नई पाइस परोसा होगे ।।

बबा Ravindra Sisodia कहत रहिस नंदागे सब ....
आउ आगू नई सुरता राखहिं काय, 
अलोप हो जाहि बाती कस लव सबो नियम धरम आउ मया...

बस यूं ही बैठे - ठाले
होली की शाम सबको सादर प्रणाम

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