गुरुकुल ५

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Friday 22 March 2024

# विनिमय #

1976 में विभिन्न जिलों और BTI से स्थानांतरण हुआ
इस कुचक्र में बिलासपुर संभाग भी प्रभावित हुआ ।
मेरे सहित लगभग 600 प्रशिक्षार्थी शिक्षक बस्तर आये ।
दंतेवाड़ा आदर्श बहुउद्देश्यीय विद्यालय में सीखने का अवसर मिला, बेहतरीन छात्रों और आदर्श गुणी शिक्षकों के सानिध्य ने हमें भी लायक बना दिया ।

पठन-पाठन, अध्ययन-अध्यापन पश्चात क्षुधा पूर्ति हेतु बाजार जाते थे वहां मधुकर पांडेय जी से मुलाकात हुई ।।
उनके पास मात्र दो जिनिस मिलते थे ....
नम्बर एक में माखुर और नम्बर दो में मिरचा...
सामने तखरी लगी होती थी बिक्रेता के सामान के मापी के लिए जिसमें वो अपनी वस्तुएं तौल जाते थे ।
यदा कदा अनहेजरा ( लगभग ) डाल दिया करते थे , बगल में बिछे बोरी पर और उन्हें मधुकर जी तम्बाखू या मिरचा दे देते थे, यदा-कदा कुछ रकम भी .....

***** हमने कभी किसी ग्राहक से उनका झगड़ा कभी न सुना न देखा .... जबकि वो अपना सभी सामान कभी तौलकर नहीं देते थे, हाथ में पकड़ा चोंगा में डाला लपेटा और ग्राहक बिना हिल हुज्जत किये धर लिया ।
विनिमय होता था हमने अनमोल और ईश्वरीय विनिमय देखा, कम कभी हुआ ही नहीं, ईश्वर की कृपा रही होगी मधुकर पर कि 2 किलो, चार किलो कि एक पाव में कभी अंतर नहीं आया ,,, 
जिसने जो सामान दिया उसके बदले उसे मिला ।
चिरौंजी, गुल्ली, महुआ, बैचांदी कुछ और वनोपज रहे
तखरी ईश्वर की भरोसा आपस का अनमोल*** विनिमय

मेरे छत्तीसगढ़ की विवाह परम्परा में भी **** विनिमय
जिस घर में बेटी ब्याही गई ........
उसी घर से बदले में बेटी मांग ली गई बहु के रूप में
सबकी अपनी दृढ़ मान्यता जिसका सम्मान किया जाता है
कोई इसे अशुद्ध लेन देन कहे ...उनका स्वागत ...
मेरी समझ में यह विनिमय अति दृढ़ और सम्मानजनक
जहाँ रिश्तों की बुनावट जुलाहा पक्षी (बया) के घोंसले जैसा.... धूप छाँव, बरसात पानी,अंधड़ सभी समान
इतना खूबसूरत ताना बाना कि हवा का कोई झोंका नहीं
बड़े से बड़ा तूफान भी इसे कभी डाल से अलग नहीं कर पाया हमने देखा है बरसों बरस इसकी नियति ...
विनिमय बराबरी की है कभी तखरी अंसतुलित नहीं होता
न नियत डोलता न कभी सामंजस्य की कमी देखी 
सुख-दुख समभाव में कट जाता है 
इस विनिमय में भी छेद नहीं छेदा देखने को मिला 
किंतु सनेही स्वजन बेहतरीन तुरपाई कर देते हैं ।
बीते समय की एक नहीं अनेकानेक घटनाएं है।

बदलते परिवेश में सभी आदर्श , परम्परा, रीति रिवाज, नए स्वरूप में हैं सबका स्वागत ।

बस यूं ही बैठे-ठाले
16 मार्च 2024

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