बड़ पुन्न करिस मनषे त मानुष के जनम पाईस ...
नहीं त भगवान घलो ह तरस गे मनखे के जनम पाए बर...
ले चल बतावा बबा रविन्द्र सिंह सिसोदिया कोन भगवान ह कोन महतारी के कोंख ले जनम लिस ?
त्रेता म ...भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौशल्या हितकारी ........
त द्वापर म ... यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ....
आउ अब कलजुग घलो म इही कस कुछु कांहीं होही काय..?
भगवान सबले सुजान मनषे ल बनाइस बड़ गुन समझके ....
सब गांव, धरम, लिंग, जात, कुजात, चिरई, चुरगुन, म बनावत टोरत फ़ोरत हेरत, धरत म ....होही रोठ मोठ घोंसत म ...
त खंग गईस होही माटी के लोंदा ह ...पेरऊसी बने नई सनाइस होही...हो सकत हे गिलगोटहा रहि गईस होही माटी का जानी ?
मोला लागथे ईंटकोटहा रहीगे रहिस काय सानत म .... ?
रहिस होही लुवाठ कुछु कांहीं खंगे-बढ़े .... हेरत धरत म.... ?
भगवानेच तो आय न ब्रम्हा घलो ह तो कई ठन बेरा म चूकगे हवय
गढ़त-गढ़ात म ढलंग के टूट गईस होही साँचा ह त.... ?
नई मिलय कोंहुँ मनशे ह एक दूसर कस .... मिलथे काय ...?
हमरे हाथ के चीनी अंगठि के चीन्हा ह ठेंगा कस चीन्हा कस नई मिलय न होवय.... अरे टार न दुनिया के लफंदर गोठ ल.....!
एके घर म दु झन जनम ले लीन एकेच गिरहा, नछत्तर म तभो ले
ऑन तान रहिबेच करही ...कतको मुँहरन ह एके कस होय....!
मनषे अपन करम म उदिम ऊपर उदिम करके,.....
,सन्ना के लिखे ल माथा के लिखना कस कपार म उबका डार ...?
आउ ए किस्सा आय ओइ सनहे किसकिस मनखे के.... !
मनषे कस कस मनखे ले बढ़िया आउ खिख भगवान गढेच नई
सकिस आज तलक ... कई पीढ़ी कई जुग बदलगे.....
देख लेवा खोजा तो ..? आँखि मूंदके तमड़े देखा देश परदेश म..!
पीठ के हाड़ा वाला जात... ले गुजगुल जात ल ...!
फेर का सोंचके गढीस होही ***** ररूहा ***** मालिक जानय !
*** ररूहा *** एक किसिम आय मनखे के........?
न गुनी न अज्ञानी, अड़हा तो हई नो हय न जोजवा आय ...
न भखला, न सुजान, अलगेच किसिम आय मनखे म ....
सब गुन म सनाय फेर एकेच ठन गुन म अकारथ....
बस ओहि एक अकारथ गुन ओकर चिन्हारी बना दिस # ररूहा #
" तभे तो कथें ररूहा बर कसार कलेवा ,,
अब तुंहर हमर कस बड़ सुजान मनषे एला... ए हाना ल ...
जोर देथें पेट के आगी भूख म ......?????
अरे सही आय का हो गुरु राहुल कुमार सिंह बतावा भला?
मोला भूख पेट के त तुंहला भूख ज्ञान के....
संत ल भूख ज्ञान के त तरवार ल भूख म्यान के
मोर समझ म मनखे लबालब भरे सब गुन म फेर बस ठन जिनिस ... बस देंह के भीतरी "$ जी $ ,, ( आत्मा ) कस
एकर महुँ अरथ ल गुन देखें फेर नई खोज पाएंव ...
उकील साहेब अशोक अग्रवाल तुंहर पोथी म लिखाये होही त बताहा हो ...चेत करे रहिहा ....!
मोर सोंच म आने त तुंहर सोंच म ताने ???
*** ररूहा *** सब ल देखे हवय... बस एहि एक ठन के छोंड़ ...
ई ल देखिस ,गुनिस ...देखके, गुनके ...आउ सुध ल... भुलागे ...भुलागे अपन अन्नो ... होगे चेत बीचेत ....
भुलागे अपन धरम, करम, नेंग, गुन, अवगुन के हिसाब किताब
फंसगे माया म ....कपार म लिखागे ररूहा ....
अब आज समझ म आइस त लाज के मारे नई कहे सकिस ...
परगट ही जाहि ओकर अड़हाई त अब एई ह सही आय ,..
न तो ओहर हबर हबर खाइस न करे सकिस ...!
बस एक ठन चूक जाने अनजाने म ....!
के हड़बड़ी म आउ होगे नाश...!
बड़ गियानी मनशे के ......ल घुघुवा चाबथे हो ...!
छुआगे देंह म के परगे जीभ म....अब कहे त ...
कहिबे काला...? सुनहि कौन...?
बइठे र पठेरा कस कौड़ी दांत निपोरत.....@ # .com
" तोर घर तोर दुआर तैं खा चार जुआर ...!,,
जा धनतेरस मना जय श्री राम...
बस यूं ही बैठे- ठाले
धनतेरस 29 ,10, 2024
Very Nice Post...
ReplyDeleteWelcome to my blog for new post