गुरुकुल ५

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Saturday, 25 January 2014

तमाचा

जो तुम्हे काँटा बोये उसके लिये तुम फूल बिछा दो?

संत कौन हैं?
राजधर्म क्या है?
प्रजा धर्म का निर्वाह किसका?
धर्म निर्वहन एकांगी किस हद तक न्यायोचित

सब अपनी सीमा पर रहें?
कोई कलेश नहीं न कोई आहत होगा

२६ मार्च २००३ को मेरे पिता तुल्य बुजुर्ग को एक तमाचा जड़ दिया
कोई और नहीं रोज पैर छूनेवाला नाती
अपनी ज़िद मनवाने की खातिर
सागर ने सीमा तोड़ी या कहीं तट बंध को प्रेम संग लापरवाही ने
आहत बरसों की नेह हो गई
ऐसा क्या हो गया एक ही क्षण में झुलस गया सब कुछ

कौन हो गया उच्छश्रृंखल
किसे चढ़ गया मद बिन पिय
एक अनदेखा परिवर्तन घर करने लगा है
उदारता और सहनशीलता संग सहिष्णुता ने भष्मासुर को जन्म दे दिया है

आहत किसने किसे किया
पहल किसने की, दोषी कौन,
आहत यदि अपनी ईहलीला समाप्त कर लेता तो
या ग्लानिवश उसने नाती को गोली मार दी होती तो

साम, दाम,दण्ड और भेद नीति ज़रूरी नहीं क्रमशः आयें

शायद कुछ पलों पहले भी यही हुआ
किसी संत से प्रश्न किया गया
प्रत्युत्तर में एक चांटा जैसा लगा

किसने हमें अधिकार दे दिया अनर्गल प्रश्न करने का

किसी और ने प्रश्न नहीं किया क्या
उन्हें चांटा क्यों नहीं लगा

संत से उलटे सीधे प्रश्न ही क्यों किया जाये
मर्यादा तोड़ें और दोष अन्य पर मढ़ा जाये न्यायसंगत

पत्रकारिता अपनी सीमा के पार जाती
तब ही तो टी वी पत्रकार पहली बार हँसता हुआ दिखा

ये तमाचा एक सीमा को निर्धारित करेगा?
जो तुम्हे काँटा बोये उसके लिये तुम फूल बिछा दो?

26 मार्च 2003
समर्पित नई पीढ़ी को

Sunday, 5 January 2014

वक़्त

वो वक़्त जब गुजर गया,ये वक़्त भी गुजर जायेगा


वो वक़्त जब गुजर गया
ये वक़्त भी गुजर जायेगा
ये बात अलग है कि
कल तूने न दवा दी न दुआ की
आज तेरे दुआओं की ज़रूरत है?

नहीं?

वक़्त ने फाहा और मरहम लगा दिया
और जीना मैंने सीख लिया

**
सर्द हवाओं ने ठिठुरन से बचाया
सूरज की तेज धूप ने राहत दी
सावन की बारिस में भी मिल गई गर्मी
अंधेरों ने बंद आँखों से ही राह दिखलाया
कदम लड़खड़ाये तो हौसला आंसुओं ने दिया
क्यों कर फैलाऊ झोली
ये खाली ही सही !

क्यूँ?

वक़्त ने गम को सहना सिखलाया
और वक़्त के थपेड़ों में जीना सीख लिया

***
न वक़्त गुजरा न ठहरा
न कल मेरे लिये
न आज तेरे लिये
दर्द ने जो थामा दामन लगा ठहर गया
असर जो कम हुआ दुआओं का

बस वक़्त गुजरता गया

०४ जनवरी २०१४ 
ज़िन्दगी से बातें अवसाद के क्षणों में