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न जाने समय किस करवट बैठे? |
आज कोलाहल से वातावरण शान्त
और मौसम सर्द
-दर
-सर्द
राजधानी में ही
चारों ओर पसरा सन्नाटा
आवाज़ लगाता
न जाने समय किस करवट बैठे?
वेताल भी अनमना
वट वृक्ष के पत्तों को गिनता चला जा रहा था
कि यक-ब-यक
विक्रम वेताल को कंधे पर लाद निकल पड़े
राजधानी की सड़क पर समस्याओं के समाधान में
वेताल ने कहा
हे राजन!
आज ये मौन और अकुलाहट कैसी?
यही आपका साम्राज्य विशाल है?
देश की सम्प्रभुता आप के विवेक पर टिकी है?
यहाँ की अनेकता की एकता को बनाये रखें?
आदरणीय
इस विषम स्थिति में एक कथन स्मरण करता
खर को कहा अर्गजा लेपन, मर्कट भूषण अंग !
सुरही को पय पान करइहौं, स्वान नहाये गंग !!
आज आप का कृत्य देश हित में?
किसी तत्व के परमाणु की संरचना में परिवर्तन संभव?
बस ऐसे ही किसी जीव या पादप की रचना में बदलाव?
असम्भव को सम्भव बनाने का प्रयास उचित?
चलो बदल गया तो?
सर्वकालिक, सर्वमान्य, सार्वभौमिक, सर्वग्राह्य, सर्वसुलभ,
सहज, सरल और विश्व वन्दनीय चिर नवीन?
राजन आप सोचें
यदि परिणाम प्रतिकूल?
राष्ट्र किसी व्यक्ति की सोच है?
जीवन की मुख्यधारा में परिवर्तन सम्भव?
चमड़े का सिक्का आज चल पायेगा?
विविधता, कुटिलता, अनेकता, विषमता,
छल, प्रपंच, राग, द्वेष, मोह, वैमनष्यता,
के बीच कौन रह जायेगा राजा भोज का गड़रिया?
देश की विशालता और अचानक बदलाव से
निर्णय
गर्म कांच में पड़ने वाले ठन्डे जल की भांति हुआ तो?
मैं आप से सहमत क्यों?
हम आप को सफल होने दें
?
व्यक्ति राष्ट्र है या राष्ट्र व्यक्ति?
विविधता के संग सर्व हिताय?
हे राजन!
ये महत्वाकांक्षा और दंभ का संक्रमण काल?
आप विश्व बंधुत्व संग लोकतंत्र और स्वाभिमान की रक्षा करें?
आज एक ही नक्षत्र, ग्रह, राशि में अनेक योग
आज
मैं कोई कुम्हार, क्षत्रिय या तेली नहीं
अचानक राजपथ धंस गया
और राजा विक्रम राजपथ पर घुटनों के बल
ऊफ
मौन भंग होते ही
वेताल फुर्र
और कस्मकस जस का तस
सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः?
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्?
may all be happy. may all remain free from disabilities.
may all see auspicious.may non suffer sorrow
“
क्रमशः
24 दिसंबर2013
समर्पित भारतीय जनमानस को