गुरुकुल ५

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Sunday 3 March 2013

तेरी यादें


१ *
सींचकर अश्क-खूं तेरा प्यार दिल में पाला है
तेरी मर्ज़ी है पनपने दे या तोड़ दे मेरी खातिर

२ **
तेरी यादें तेरा एहसास कैसे मखमली हैं?
मैंने जाना ये कसकती हैं प्यार के बाद

३***
हवा का रुख बदल जाये ऐसी तासीर अपना लो
के उस तकदीर को पढ़कर खुदा भी मुस्कुरा बैठे

४ ****
मेरी सांसे ये धड़कन मेरा वजूद है फ़क़त तेरी खातिर
तू मुड़कर देख ये आंखें तेरे कदमों के निशां ढूढ़ती हैं

५ *****
सांस रुकती नहीं ये दर्द थमता क्यूं नहीं
यादों ही यादों में बस रात कटती जाती है

०३  मार्च २०१३
समर्पित मेरी * ज़िन्दगी * को
चित्र गूगल से साभार       

18 comments:

  1. @ सांस रुकती नहीं ये दर्द थमता क्यूं नहीं
    यादों ही यादों में बस रात कटती जाती है
    - वाह, क्या बात है!

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  2. सींचकर (कर) अश्क तेरा प्यार दिल में पाला है
    तेरी मर्ज़ी है पनपने दे या तोड़ दे मेरी खातिर

    महकती यादें ..

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    1. आदरणीय सतीश भाई साहब आपके मार्गदर्शन की सदा अपेक्षा है मन के भावों को लिखने का प्रयास करता हूँ आपने जो अपनापन दिया मैं ह्रदय से प्रणाम करता हूँ।सुप्रभात
      सींचकर अश्क-खूं तेरा प्यार दिल में पाला है
      तेरी मर्ज़ी है पनपने दे या तोड़ दे मेरी खातिर

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  3. मेरी सांसे ये धड़कन मेरा वजूद है फ़क़त तेरी खातिर
    तू मुड़कर देख ये आंखें तेरे कदमों के निशां ढूढ़ती हैं,,,,

    वाह !!!क्या बात है,,,उम्दा शेर, बधाई रमा कान्त जी,,,

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  4. बढ़िया है आदरणीय -
    शुभकामनायें-

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  5. बेहतरीन शे'र।

    काले बुर्के ने काली कजरारी आँखों को
    या खुदा और भी खूबसूरत बना डाला है।

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  6. सभी बेहतरीन....
    सांस रुकती नहीं ये दर्द थमता क्यूं नहीं
    यादों ही यादों में बस रात कटती जाती है
    लाजवाब...
    :-)

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  7. बहुत खूब ख़याल हैं.
    सभी बेहतरीन .

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  8. सींचकर अश्क-खूं तेरा प्यार दिल में पाला है
    तेरी मर्ज़ी है पनपने दे या तोड़ दे मेरी खातिर.

    उम्दा और लाज़वाब शेर. जज्बातों को शब्द दे दिए आपने. सुंदर प्रस्तुति.

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  9. बहुत उम्दा ..... हर रंग समेटे यादें

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  10. यादें..यादें..उफ़! ये यादें..

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  11. मेरी सांसे ये धड़कन मेरा वजूद है फ़क़त तेरी खातिर
    तू मुड़कर देख ये आंखें तेरे कदमों के निशां ढूढ़ती हैं ...

    क्या बात है ... खूबसूरत शेर किसी जाने हुए अजनबी के लिए या ... अपनी जिंदगी के लिए ...
    लाजवाब हैं सभी शेर ... समर्पित प्रेम को ...

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  12. मेरी सांसे ये धड़कन मेरा वजूद है फ़क़त तेरी खातिर
    तू मुड़कर देख ये आंखें तेरे कदमों के निशां ढूढ़ती हैं

    ...वाह! लाज़वाब ...

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  13. हवा का रुख बदल जाये ऐसी तासीर अपना लो
    के उस तकदीर को पढ़कर खुदा भी मुस्कुरा बैठे
    ...वाह !!! रमाकांत जी कितनी खूबसूरत बात कही है

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  14. फ़तवे वाला काम कर रखा है गूगल ने तो :)

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  15. इन खोये हुए आंसुओं से शिकायत मुझे भी है
    तेरी इस तनहा जिन्दगी से शिकायत मुझे भी है
    तू अगर नाज़ुक है तो पत्थर मैं भी नहीं
    तन्हाई में रो देने की आदत मुझे भी है

    लिखते रहें बाबू साहब. आपकी पोस्ट का इंतज़ार रहता है काफी दिनों से विक्रम और वेताल की मुलाकात नहीं हो पाई.संभवतः विधान सभा सत्र के चलते

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