गुरुकुल ५

# गुरुकुल ५ # पीथमपुर मेला # पद्म श्री अनुज शर्मा # रेल, सड़क निर्माण विभाग और नगर निगम # गुरुकुल ४ # वक़्त # अलविदा # विक्रम और वेताल १७ # क्षितिज # आप # विक्रम और वेताल १६ # विक्रम और वेताल १५ # यकीन 3 # परेशाँ क्यूँ है? # टहलते दरख़्त # बारिस # जन्म दिन # वोट / पात्रता # मेरा अंदाज़ # श्रद्धा # रिश्ता / मेरी माँ # विक्रम और वेताल 14 # विनम्र आग्रह २ # तेरे निशां # मेरी आवाज / दीपक # वसीयत WILL # छलावा # पुण्यतिथि # जन्मदिन # साया # मैं फ़रिश्ता हूँ? # समापन? # आत्महत्या भाग २ # आत्महत्या भाग 1 # परी / FAIRY QUEEN # विक्रम और वेताल 13 # तेरे बिन # धान के कटोरा / छत्तीसगढ़ CG # जियो तो जानूं # निर्विकार / मौन / निश्छल # ये कैसा रिश्ता है # नक्सली / वनवासी # ठगा सा # तेरी झोली में # फैसला हम पर # राजपथ # जहर / अमृत # याद # भरोसा # सत्यं शिवं सुन्दरं # सारथी / रथी भाग १ # बनूं तो क्या बनूं # कोलाबेरी डी # झूठ /आदर्श # चिराग # अगला जन्म # सादगी # गुरुकुल / गुरु ३ # विक्रम वेताल १२ # गुरुकुल/ गुरु २ # गुरुकुल / गुरु # दीवानगी # विक्रम वेताल ११ # विक्रम वेताल १०/ नमकहराम # आसक्ति infatuation # यकीन २ # राम मर्यादा पुरुषोत्तम # मौलिकता बनाम परिवर्तन २ # मौलिकता बनाम परिवर्तन 1 # तेरी यादें # मेरा विद्यालय और राष्ट्रिय पर्व # तेरा प्यार # एक ही पल में # मौत # ज़िन्दगी # विक्रम वेताल 9 # विक्रम वेताल 8 # विद्यालय 2 # विद्यालय # खेद # अनागत / नव वर्ष # गमक # जीवन # विक्रम वेताल 7 # बंजर # मैं अहंकार # पलायन # ना लिखूं # बेगाना # विक्रम और वेताल 6 # लम्हा-लम्हा # खता # बुलबुले # आदरणीय # बंद # अकलतरा सुदर्शन # विक्रम और वेताल 4 # क्षितिजा # सपने # महत्वाकांक्षा # शमअ-ए-राह # दशा # विक्रम और वेताल 3 # टूट पड़ें # राम-कृष्ण # मेरा भ्रम? # आस्था और विश्वास # विक्रम और वेताल 2 # विक्रम और वेताल # पहेली # नया द्वार # नेह # घनी छांव # फरेब # पर्यावरण # फ़साना # लक्ष्य # प्रतीक्षा # एहसास # स्पर्श # नींद # जन्मना # सबा # विनम्र आग्रह # पंथहीन # क्यों # घर-घर की कहानी # यकीन # हिंसा # दिल # सखी # उस पार # बन जाना # राजमाता कैकेयी # किनारा # शाश्वत # आह्वान # टूटती कडि़यां # बोलती बंद # मां # भेड़िया # तुम बदल गई ? # कल और आज # छत्तीसगढ़ के परंपरागत आभूषण # पल # कालजयी # नोनी

Monday, 23 December 2024

*** कौंरा ****

भरपेट अघाये मनषे कभू भूख ल बता पाहि  ?
न अरे भूखहा मनखे थिराके सांस रोके खाहि !

***
मोर बाबूजी मोला जात जात कहिस सुन बेटा ए ह सोरह आना सच आय
कभू झन सरकाबे तोर बर परसाये थारी ल आन बर 
भरम आय तोर ए ह ,...सात जनम अगोरत रही जाबे नई मिलय अपन ...
मनखे बड़ स्वारथ म जिथे नई सरकावय तोर बर आन ह अपन थारी ल 
मन कल्लागे त पूछें बाबूजी ल ... त तूं काबर थारी ल मोर कती घुंचाया ?
बाबूजी कहिस ... मैं धोखा खाएं ते ह अपन जगा हवय  ...
फेर तोर मनशे मन बर सदा बरत परेम नेम बने रहय टुटय झन तेकर बर ..
मनुसता ऊपर तोर भरोसा आउ बिसवास झन टुटय ते खातिर आय बेटा...
देख तो रुख राई ल ...सदा बोहात नदिया ल... आउ दुधारू गाय ल ...
कभू के मन ल लईका कस रोवत गात कल्लात देखे हस काय ? 

मुखिया मुख सो चाहिए खान पान सो एक
पलै पोसय सकल अंग तुलसी सहित विवेक 

तोर धरम तोर संग ...आउ ओकर करम ओकर संग ...
मनषे के मुं के कौंरा ह ओकर धरम के दगदगात चिन्हा आय ।
फेर ओहि ह रुख कस सब्बो झन ल बिन कल्लाये मिलय तौ  ?
सब अपन-अपन करम करथें त अपन मनके रद्दा उन्हेंच जाथे जेकर बर मन के सोंच ह बने रथे ...नहीं त लड़र-बड़र बारा बतर हो जाथे ।।
 " त तो कथें दस मर जाये त मर जाये दस के पोसईया झन मरय ,,

***
 मंझली भौजी Sarita Jaipal Singh कल्लागें ...अनियाय ल देखके
नई गुनिन छोटे बड़े के मरजाद ल जे हर सच आय ते ह सच आय आज
मुं ऊपर कहि दिन  अरे चण्डाल लईका के मुं के कौंरा ल झपटत हस ...
तोला लोक लाज के डर नई लागय अरे एहू ल छोंड़ अंतरजामी भगवान के घलाव डर नई आय ...ओकर तो आँखि के सरम कर निर्लज़्ज़ ...
सोंचा तो कतका बड़ खिख बूता ल कोनो करहि त ओला सुने बर परही

***** कौंरा ***** दार-भात-साग-चटनी-भाजी- घी- ,के लोंदा आय ?
कौंरा ह छप्पन भोग के न कुढ़ा आय न ओ ह पहार आय खजेना के  !
देंख तो कोंन-कोन कौंरा ल अपन-अपन मुंअखरा फरिया सकत हे  ?
बड़ मुश्कुल आय न हपकन कौंरा  ल एक सांस म बता पाना ....
एक कती कौंरा ह मोर जनमती अधिकार आय ... ए मेर पाना हवय !
त दूसर कोती कौंरा ह मोर लहू म बोहात धरम घला आय ... !
सुद्ध गोरस कस लहू ल दूह के देना हे त ए मेर *** कौंरा *** आय !
लूट के ले गए आन के मुं ले त कुकुर ले ओ पार ...सूंअरा    ?
आउ कोकरो मुं म डार देहे त तो बात ह आन होगे जनम भर बर...
अरे अपन जांगर पेर के ओकर बेंवत बना देहे त धरमराज जुधिष्ठिर ...
आउ कभू उमर भर के खंझा मढ़ा देहे त अंगराज  करन बनगे मालिक ...

***
कभू मन म बिचार करा तो मुँ के कौंरा कइसे बनत होही ...,?

तुलसी अपन राम ल रीझ भजय के खीझ 
खेत परिस ते ह जामगे उल्टा सीधा बीज

गुरु Rahul Kumar Singh जी करमईता मनखे घलो ल
,बिजहा के नाले के अल्लग बनिहार करके करपा कटवाये बर परथे 
नहीं त कमैलीन करके बिजहा के बाली बिनवाथे बड़ खटकरम लागथे ...
बोयें बर परिस बीजहा ल , खुर्रा बोये बर जोंताये रहिस होही खेत अंकरस 
अंकरस नांगर बर बईला लागथे ओहु ह जोंड़ा म ...ओहु जोड़ा ह बरोबर रहय न , नांगर के बईला पहिली ले सीखे सधे रहय नहीं त हरई म नई 
रेंगय ...न बरोबर कुंड़ धरावय ...चेत करके खेत जोंताये नई पाईस त ...,जगा जगा अड्डी छुटगे ..त तो खेत के बन बूचा जस के तस रहिगे ...
सनसना जाथे फेर सांवा संग दूबी आउ गदा बन ...,फेर ई बन ह चबकके
धर लेथे धान के जामत पेंड़ ल ...क़रर के खाये खोजथे जामत सुला ल...
फेर निंदाई, कोड़ाई , चलाई, खातू माटी, कटाई, डोहराई, खरही गंजाई,
दौंरी फंदाई,  मिसाई , रास बनाई, नपाई, फेर कोठी म झँपाई ....बनी नाप 
बनिहार खेती के सब काम बुता ल नेंत,-घात म जानय तौ न,,,...
लेई म धान बोयें त जरइ के तामझाम करे बर परथे संगी 
आउ थरहा लगाए बर गोड़ के पछीना मुंड़ म  ...
थरहऊटी , थरहा के रखवारी, जगाई , खातू माटी सबके खटराग 
फेर पावती बर नवा बोरा खिलवाये बर परथे कांही गोठ नई ए ।
पावती- अधिया-,कुता के फेर घर के बोंता धरबो कोठी म 
धान के कोठी बने हवय बांस के कमचाईल के पाखा म, तेमा कोदो पैरा आउ धान पैरा के पेरउसी सनाये माटी के छबना ...जे हर गोबर म सरबोटाय के लिपाये हवय चेत करके ..कोठी के मुड़का मियार, कड़ेरी सरई के ...तेकर ऊपर पोठ टीन के छांदी मोंखन बने ठोंकाय रहय कांड़ खिला म ...ई हर सुखोथे धान ल बिजहा बर आउ ए ई ह बनथे ...
खदुहन धान घला ... फेर निमार. पछिन, ढेंकी म कूट, त निकरथे सईघो चाउर ..ओकरो मेरखु ल फेर निमार पछिन त चाउर खाये लाइक बनथे  ...नवा चाउर ह गिलगोटहा भात बनथे तेकर सेतिर एक बछर जुन्ना धान ल खाये बर कुटवाथे । जादा जुन्ना धान के चाउर ह रांधे म सेवाद ह भसकन्हा लागथे । खदुहन धान के किसिम देख ...

अरे पढ़े-,लिखे उकील Ashok Agrawal  घलो कथे 
***** फोकट म नई मिलय मुं के *** कौंरा .*** ...
भितरहिंन ह पूरा निरमल मन ले रांधथे त ओ ह कौंरा बनथे ...
फेर साग-दार- घी-मसाला के सेवाद के पता चलथे .नहीं त सिट्ठा के सिट्ठा
हरष-भरश रांध के मढ़ा दिस त कौंरा मुं ले उगला जाथे ....
भितरहिंन के अन्तस् मिले रथे ...सब चीज एकदम नाप-जोंख म ,...
रांधे के बेरा म सौ ठन नियम धरम हवय ...महतारी मन जानथें
ओनहा, चेंदरा, करईहा, बटलोही,झारा, करछुल, आगि, पानी चुलहा,
से लेके मिरचा मसाला, सील, लोढ़ा सब सफ्फा सुग्घर रहय ...
दूध दही, अथान, बरी, बिजौरी, गुर घी, सबके अपन,- अपन ठउर ..
कभू अनचेतहा चुन्दी परगे त होगे मरे बिहान धन-धरम-जांगर...
थारी के भात तिरिया जाथे नहीं त फेर अंधन चढ़ाये बर पर जाथे ....!
कौंरा जे हर परमात्मा के किरपा ले हमर हाथ म धराइस...  मुं म माढ़ीस 
जेमा भितरहींन के मया, नेम,धरम सब लगे हवय जेला आत्मा ह पाइस,..
कौंरा जेमा न मिठास दाई के... न नेम धरम सुआरी के ...न बेटी के मया
नई कहावै ते ह अन्नपूर्णा के कौंरा ओ ह जहर बन जाथे...
बने निटोर के मन के पूरा बिख ल घोर के देहे कौंरा ह * दिनाही *कहाथे 

भाई जी Arun Rana कथें ...
कभू कोकरो देहे अन्न आउ कौंरा के अपमान झन कर ....!
फेर सोंच समझके कोकरो घर दुआर के अन्न ल कौंरा बना ...!
भोरहा-अंभोरहा कोकरो कचकुटहा अन्न झन खा ...!
बेर-,कुबेर भोगे बर पर जाहि ओकर गुन-अवगुन के त्रास ल , ...!
कौंरा जेमा तोर जांगर पेराय हवय पछीना निकरे हवय ते ह तोला फुरहि ।
लुटे-,झपटे अन्न जब हमर बबा ददा ल नई पचीस त हमर का औकात ।
तभे तो बबा Ravindra Sisodia ह कथे सुन बेटा चेत लगाके 
मघा के बरसे आउ महतारी के परसे म पेट भरथे
आउ ए जनम म महतारी के परसे म तोर पेट नई भरिस त ... 
कुछु जतन कर ले ..कोंहुँ परोसय कतको कन खा तोर दांदर नई पटावय !

*** कौंरा *** तोर भाग के भगवान के देहे परसाद आय  !
आँखि मूंदके पा माथा नवा दाई,-ददा-भाई-,बहिनी आउ हितु,-पिरितु ल

बस यूं ही बैठे-,ठाले
अगहन द्वादशी शुक्ल पक्ष २०२४

*** सईकिल ***

बंगला देश के सरनार्थी उतरीन गाड़ी-गाड़ी मुलमुला के भांठा म ...
देखनी हो गए रहिस मुलमुला भांठा आउ कोनार भांठा म तम्बू तनागे
रोग-राई झन होवै ...तेकर रखवारी बर सरकारी बईद दवा दारू संग 
ओकरो तम्बू जगा-जगा बनगे ... बसगे नवा गांव देखते देखत...
घर के दमांद ले जादा बेवस्था खाये खजुवाये के बनगे ...
चार कोस आगू-पीछू , ऐड़हा-बेड़हा, तरी-ऊपर ले हबरे सुरु कर दिन
ओ घनी हमर गांव ह मध्यपरदेश म रहिस तेकर भूपाल रजधानी ...
त चलय ओ बखत देष बन्धु बस ,...एक गोड़ के खेचेलाई वाला ,...
जे मेर पावै तेमेर ओकर हाथ गोड़, छाती, नारि, मुड़, कान, नठा जावय 
लम्मा दुरिहा जाए बर पछिन्दर गाड़ी जेडी रहय के नागपुर रेल पसिन्दर
गांव घर जाए आये बर बईला गाड़ी के भइंसा गाड़ा फंदा जावय ...
एक बछर हमर पास-परोस के सब्बो गांव के खेत म माहो संचरगे...
रात के भात म माहो माहो माहो चारों मुड़ा छवागे छबागे चारों मुड़ा ...
सरकार हवाई जिहाद म दवाई छिचे बर जहाज उड़वाइस...
दस कोस आगू पीछू ले मनखे जहाज देखे आइन ...
चुलहा म जावय खेत आउ खेत के माहो ...जहाज आउ जहाज आउ...

*****
पिउरा जीप, लाली जीप, फेर हरियर जीप  घलो रहिस गिनती के ...
माटी तेल आउ पिट्रोल म चलइया फटफटी घलो रहिस बने घर म 
फेर सबले जादा चलन रहिस ***** साइकिल ***** के 
साईकिल  " रेले-रज-हम्बर- हरकुलिस , एवन ए ही मन रद्दा म चलय ....
सइकिल म इनजिन लगगे बनगे हप के दउड़ईया जेलो  गाड़ी
टुरा जइसे फुंदरा गंथाके देवारी म राऊत नाचा म बेलो ,....
सइकिल के पयडील, लमरी सीट, गोल सीट, फेर सीट म लगे सप्रिंग,
सीट के चड्डी, ओकर हुक्सा, बरेक, बरेक रब्बर, हेंडिल,घंटी, हारन, पुकपुकि, चिमटा, कटोरी , छर्रा, टियूब, टाएर, बाल टियूब, फोफी, स्पोक, चक्का, फिरबील, कुत्ता, चैन, स्टैन्ड, केरियल, नट, बुलुट, स्पोक के मुंदरी, हब के फुंदरा, साइकिल के चुतर म लाल टिकला , सयकिल के हेंडिल म लगे ओकर कोकानी जे हर ओकर कम्पनी के चीन्हा...

*****
साइकिल के डॉक्टर घलो सब्बो बेमारी के दवा दारू नई जानय ...?
पेंचर होगे त टायर ले कांटी, खिला, कांटा हेरना बड़ मुशकुल ...
सुलेशन डब्बा वाला एक लम्बर तेला  टियूब म खपराईल म घोंस के लगाना फेर मुं म फुकके ओकर पाग देखके टियूब के कुटा जटकाना 
छोटे ऑपरेशन आय .....फेर भस्ट होगे त डंडा जोड़ मारना बड़े बुता...
टियूब के नाप म डण्डा बनाना आउ नाप जोंख म दूसर पार के टियूब ल लहुटाके खपरा म घोंसके सुलेशन चुपरना - चोप देखके तरी ऊपर चटकाना ,फूंक फूंक के सुलेशन के पाग आये के बाद ठोंक ठठाके चटकाना मंजाक नो हय .... पंचर ल बनाये बर हेरे टायर ल आउ सरगे हवय टायर के तार ह आउ ओ ह छोंड़ दिस त मोची के जूता खिले के सूजी म तुरते धागा चढ़ाना ह तुरते कुंआ कोड़ना कस बुता रहय ...
बड़े भस्ट ल भीतरी के पहिली जोड़ बनाना फेर ऊपर ले टिव जोड़ना मनखे के पेट के ऑपरेशन ले बड़े मुशकूल फांदा रहय ...

*****
साइकिल के घलाव बड़ बेमारी धरके आवय मनखे मन ,...
फिरि भील के कुत्ता छोंड़ देहे हवय ...
त डहर म फिरि भील म मूतके तीन चार घव पीछू चक्का ल पटक देखिस 
नई बनिस त लाये हवय ओमा छर्रा लगाना ...फेर गिरीस सिरा गए हवय
के ए ही परकार के सेंटर एक्सील के कटोरी म छर्रा लगाना बिन गिरिस के
त ...तव का बना ५५५-बार साबुन के लेपन नहीं त लाइफ बॉय साबुन के
त फेर चटकय छर्रा कटोरी म त बनय साइकिल मोर मालिक ...
चलत चलत फेंकागे पैडिल अब एक गोड़ के खेचे लाई कुटत ला 
छोड़ दिस ब्रेक त गोड़ म भुंइयाँ ल खोभत रोक साइकिल ....
ए दे ए दे होर होर नई रुकिस साइकिल फेल हो बिरेक त.....
 ठोंक दे कुछु मेंढ पार ल त होगे चक्का टेढ़वा टूटगे स्पोक ...
मनशे उलण्डगे खेल दिस उलान्दबादी थोथना के भार ...काबर के हबकहा
मारे रहिस आगू के बिरेक ल हचक के त टीनकोनिया डंडी म के एक ठन ह टुटगे... फाट घलो जावय एहि डंडी ह जेमा लईका बइठे छोटे सीट म
साइकिल के एहि ठाठ के तो कीमत आउ नाव रहय दाम रहय ...
एहि ठाठ के बड़े बिद्वान डॉक्टर रहिस पकरिया  के साधराम  बिसकर्मा ...
गरम करय अपन आगि वाला मशीन म डंडी ल फेर ठोंक अंईंठ के उलारय डंडी के लोहाटी बन्धना ल आउ फेर तिपोके ,...आने जुन्ना साइकिल के डंडी ल हेरके ऐमा खपों देंवय ...
जोरय पीतल के जोड़ लगावय सोहागा घोंस के ...ले तो बनगे नवा ठाठ...
एक कात ठन साइकिल के ठाठ म हवा भरे के पम्प घलो ओरमाये रहय
ठाकुर साहेब नाना श्री गोलन सिंह साइकिल, कुबरी, कोट, सेंट, गोठ , मांस, मछरी, मन्द, मउहा, घर, दुआर के बड़ शौखिन ....

*****
थूंक म वाल टिव कइसे लगाए जाथे सब साइकिल के दरोगा जानथे 
अरे हेंडिल टेढ़वा होगे त हाथ म हेंडिल टेढ़वा फेर साइकिल अपन सोझ म
एला कई घव गाड़ा के चक्का म फंसाके ..हरकके सोझ करन ...
सेंटर एक्सील ह अड़गे साइकिल न आगू न पीछू त अलगा के लेजा 
घोड़ा कस आगू टांग ल आज घलो मोटर साइकिल कस आड़ा बनाके ...
लईका रहेंन त ई बेरा म चिहो हों हों हों हों कहिहिके उटकावन ...
सेंटर एक्सील ल हेरत ठोंकत म ओकर घरूहां झर जावय के घोला जावय
त जनेऊ के ताग ल लपेटके फेर जुगाड़ म ठोंक पीट के अर्झा दन ...

*****
साइकिल मने दाऊ जी , गौंटिया, बड़े मालिक ....
अरे आज तो हेलीकाफ्टर म उतर तोर घर के छांधी म काला परवा हे 
तोर तोर कस चौदा गण्डायेन परे हवय गली खोर म सब गांव म...
घरो घर मोटर गाड़ी अरे मनखे आज खेत नींदे जाथे बोलेरो म चढ़के
मोर देखत म नरियरा म खेत बिसाइस बिजली कम्पनी ह ...
शौख म लिस फेर दारू पीके बेंच दिस फेर बोलेरो म गईस खेत नींदे 
साइकिल रहिस काल गौंटियानी चीन्हा आज हवय शरीर के ,* रच्छक *
साइकिल चला त बने रहिबे ...रैपुर राइस मिल वाला प्रभात भाई ...
घर म चार ठन मोटर फेर सायकिल म किंदरथे सरीर म हलचल बर ...
पिट्रोल डीजल होगे १०० रुपिया किलो ले अगरहा किम्मत म ...
फेर आहि दिन फेर बहुरहिं साइकिल ...
त फेर खोलिहां एकर डाक्टरी के दुकान अब लिखाही दुकान म

हेर *** फेंक *** सइकिल  दवाखाना ***
आज के  ४५, ००, ०००रुपिया के  BMW त काल के 280 रु के इहि दुगोड़िया जे हर भांवर किंदरे के पहिली हरियर मड़वा तरी मांढ़  जावय ।।
उकील Ashok Agrawal  कतको बड़ मील मालिक के बेटा रहिस फेर ओकर बिहाव म टिकावन म हरकुलिस गाड़ी तलक नई देईस ।।
बबा Ravindra Sisodia घलो के बिहाव म सेमरा के ददा नई टिकिस 
घोड़ा, गाड़ी, सइकिल, मोटर जे मन मंडवा के सुख रहय,..
बबा बताहिं अकलतरा म सबले पहिली कोंन नोनी सइकिल चढ़िस ,?
मोर गुरु Rahul Kumar Singh धरे हवय बेलासपुर के घर म सइकिल 
चढ़े घलो हवय लबारी होही त पूछ लेवा मुबाइल ल घन घनवा के 
बाबी के फटफटी आउ पिरिया CPL 333 संग अम्बसडर CPL 111 के रहत ले ... ओकर फिटिंग सिंटिंग आज घलो चकाचक हवय 
१९६७ ले १९७० ,तलक मोर सइकिल दुकान लगय कुटीघाट मेला म

बस यूं ही बैठे-ठाले 
१७ दिसंबर २०२४
मेरे युवावस्था के खूबसूरत पल जिन्हें जिया है मैंने बड़ी शिद्दत से
आज भी मुझे गर्व है अपने हुनर पर डण्डा जोड़ बिना रुके ...

*** बरसिहा ***

चइत पुन्नी के एक रुपिया के टिकस म लिख दिस बरसिहा के मजूरी एक बछर के  पुन्नी के पुन्नी ... आउ कर दिस बकलम ...दु गवाही संग ...

                        इकरारनामा
मन के मैं घुसू राम डोको वल्द माखन राम डोको गांव मुलमुला थाना पामगढ़ जिला बेलासपुर लिखत हंव के सरपंच रणधीर सिंह गांव मुलमुला  करा अपन घरु काम बर ७५० रुपिया उधार लेवत हावव । जेकर एवज़ म चइत पुन्नी ले चइत पुन्नी बिन नांगा करे बछर भर घर के आउ खेती के सब्बो काम ल करिहौं । मोला बछर भर खाये बर धान देहि जे हर जस के तस लहूटाये बर परही मूर के मूर । जदि मोर करा ए इकरारनामा ल टोरे जाहि त धान के दुगुन बाढ़ी संग ७५० रुपिया के कन्तर ५ रुपिया सैकड़ा महीना के देहे बर परही । ए ७५० रुपिया आउ मोर लेहे धान के एवज म 
मोर बाप माखन राम डोको पिता रामसाय डोको के नाव म दर्ज भांठा खार के भर्री कोदंन साव सही ह लिखावत हे ।
इकरारनामा लिख दे गईस ताकि सनद रहय वक़्त पै काम आवै ।

गवाह १               गवाह २            इकरार करता
                                               एक रुपिया के टिकस
बकलम कांतिकुमार सिंह गांव मुलमुला 
चइत पुन्नी बिक्रम सम्वत २०११
तारीख १४ जनवरी १९६०

*****
बरसिहा लगे हवय ......
०१ राउत ...चरवाही आउ बरवाहि 
०२ नाऊ...बर, बिहाव, मरनी-हरनी, ,पूजा-पाठ, छट्ठी-छेवारी, दाढ़ी-,मेंछा 
०३ पईकहा  ... नहना, बरही, पनही, भंदाई,   खात-खवाईत 
०४ धोबी ... नहावन-धोवन, बर-बिहाव,  खंघे-बढ़े 
०५ कमैलीन  गोबर कचरा,कोठा, खोर , दुआर के छरा-छींटका 
०६ आउ सबले ऊपर म पानी भरवईया राऊताईंन ....
ई सब पांचो मन मुं अखरा बरसिहा लगय आज घलो गांव के बेवस्था 

सबले अल्लग थल्लग ****
पईकिहिंन दाई नवा जनमे लोग-लईका के नेरूहा छीने खातिर
त बरेठीन दाई बिहाव म सोहाग देहे बर इंकर बिन जनम मरन नई होइस

बस यूं ही बैठे-ठाले
18 दिसम्बर 2024

**** रथी-सारथी ***

सारथी एक हमारी ग्राम्य जीवन की सामाजिक, परिवारिक, जातिगत, लिंगगत, परम्परागत ,व्यवहारिक व्यवस्था रही कमोबेश आज भी है जो हमारी अस्मिता का प्रतीक है जिसके चलते हमें ग्रामीण और किसान परिभाषित कर हासिये पर रखकर दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है 
मुझे गर्व है कि मैं ग्रामीण और छत्तीसगढ़िया हूँ  ।
मेरे देश के गांव में जीवंत लोगों के जीवनशैली और जीवन दर्शन में जो हमें चुभती और गुदगुदाती भी है  । हम पीछे मुड़कर देखें तो हमारी बेबसी, लाचारी, अशिक्षा, सामाजिक मान्यता, बेरोजगारी, अंधविश्वास, कुप्रथा, अस्पृश्यता हमारा मुंह चिढ़ाती है ...मैंने जीया है उस दौर को मेरा एक प्रयास उस समय के कथा के अंकन का ...मेरे गुरु Rahul Kumar Singh जी  को समर्पित जो मेरे प्रेरणास्रोत हैं  !

                         *** सारथी  ***

सब घर परिवार के अपन-अपन काम धंधा आउ सब अपन-अपन म गगन मगन फेर गांव के गउँटिया का मजाल के कपार म चीन्हा पर जावय...
बीच गुंडी म बीड़ी चुहकत अजगर कस अंड़ियात काट दिन चार पीढ़ी
मुलमुला गांव म पूरा गांव म खेती नई होइस फेर गांव के गुंडी म ताश फेंटत गउँटिया बेलासपुर ले आये बड़े साहेब ल बईठ नहीं कहिस ...
डोरी जर के खुहार हो गए रहिस फेर अईंठ सारे जस के तस रहिस ...
रहीँन  किसिम किसिम के काम कमइया तेमा के कुछु एक नंजर ...

*** बरसिहा / अस्थिहा 
घुसू राम डोंको लिख दिस इकरारनामा बरसिहा के फेर अपन जांगर खंटो के पढ़ाइस अपन बेटा रमेश ल ...बनगे रमेश रेल गाड़ी म टिकिस कटवैया
बाबू अब रेल पछिन्दर सब्बो फिरि घूमे बुले जाए बर रात बिकाल ...
छुटागे घुसू के कंडील पोंछई, गाड़ा जोंताई, आउ दौंरी फंदाई...

*** रोजी 
बुधराम दास मानिक पूरी जी अपन मन के मालिक करिया बईला कस 
मन परिस त बुता करिस चोंगी ,माखुर ,,, आउ सिलेमा देखे बर...
काम बुता ह ओकर रोजी रहिस जेमा निखालिश रोटी के खंजा मांढ़ीस
बिहानियाँ बुता करिस आधा रोजी मिलिस १८० रुपिया ,...
ढिल्ला संढ़वा कस खाईस खजुवाइस जनम भर जस के तस 

*** सौंजिहा 
धनेसर बड़ बुधिमान फंसा डारिस अल्लर मनमुख्खी दिनेश गउँटिया ल
बहरा खेत ल सौंजिहा बोएँ बर खंधो डारिस ...खातू , माटी, निंदाई, 
कोड़ाई , चलाई, लुवाई, मिंसई  सब्बो म बरोबर लगाए बर फेर मिंस 
कूटके  आधा तोर आधा मोर... खातू लेगे दिनेश गउँटिया के किसान परची म हेरके आउ अपन खेत म छींच के आगे ... सौंजिहा खेत के आधा 
बींड़ा ल अपन खरही म समो दिस ...अब खोजत रह पावती ल...
बबा Ravindra Sisodia के खेती मुरली डीह म जतका बेर म मालिक गांव हबरिस ततका म खातू दवाई छिंचागे ...काकर म ?

*** भूतिहार 
बंधु भूतिहार बनके गईस अपन सासत म बेटी के इस्कूल के फीस भरे 
काय करय ...? जनम मिलिस बाम्हन कुल म त... नौकरी ...ठेंगा इल्ला
आधा रात के पैर डारिस...दौंरी फांदिस बईला खोज खोज के ... पैरा फेरत-हेरत-धरत-गांजत म बिहानियाँ होगे । दतवन, मुखारी, पैठू निपटा के असनांद खोर के फेर भिंड़ीस त धान ल असो के रास ल बांध के थिराइस , जानत रहिन उकील Ashok Agrawal  बन्धु महाराज संकोच म कुछु कहय नहीं त घर ले बनवा लाइन चुनी के अंगाकर रोटी ...
बरछा के गुर, घर के घी, मिरचा लसुन के चटनी बस पानी पिये के धरखन होगे ... कँहीया भर के रास टीपा म नापत , कोठी म झंपावत संझा होगे
महाराज अपन भूति ल नापिस आउ बोरी म धरिस ...
१९६० --६५ म कहाँ जादा पैसा लेन देन के चलन रहिस ...
जेला कमाए ओकरे भूति नाप आउ ओली, पागा, पिछौरी म ले जा ...
भूति नपावय, धरय, पावय, जांगर के बलदा म जिनिस ।

*** बनिहार
ए सारे रमाकांत चार किलास काय पढ़गे सब्बो बनिहार ल बिचका देथे
बुता के किसिम देखके बनि बताथे , खपरा ओईरे के आने बनि...
,कोठी ले धान हेरे के आने बनि ...त धान नींदे चाले, जगोये के आने बनि
मन परही त धान लेहि आउ मन परगे त पैसा ... सारे अल्लर नहीं त ओतके कन ल अंगोट के धरे रही अपन चौहर कस ... 
न करय न करे देंवय सारे किसिम किसिम के किस्सा कंथुली जानथे
जानत हवय काम बुता फदके हवय त रोज बेरा ल पहिली हबर जाथे
भगवारत घलो नई बनय ओकर किस्सा के सांटा म कभू कभू बुता घला देखते देखत सक्ला जाथे ...

*** अमानी
दीना के आगू म मुड़ पटक डार फेर ओ ह अमानी म ही बुता करहि 
जतका जांगर पुरिस लगे रहिहि अपन काम म अपन म मगन काम करत
न काहू से दोसती न काहू से बैर लगे हवय धीरे-धीरे...
बुता सिरागे मालिक ल कही दिस बांचे हवय मालिक जानय 
अपन रोजी, मंजूरी, बनि, भूति धरिस डौकी लईका करा घर रेंगीस

*** ठीका / ठीकेदार / सरदार 
खेत म थरहा जगाये बर हवय... सबले पहिली ..
सावन म घर के लिंटर ढारे बर हवय पानी गिरे के पहिली..
हबरस-तबरस दुरिहा -दुरिहा म खोंच के निपटा डार जगाई ल ...
हाँका लगाके बनिहार ल हचपचवाके...गोठ बात म बेंउझालके दिन बूड़े के पहिली सकेल दे रांपा-झौहा-तसला-तगाड़ी संग बाँहचे सिरमिट, कुधरा
फेर ठीका म मिले अतकीहा पैसा के चढ़ा ले भोले नाथ के परसाद ...
ठीकेदार कभू बुता नई करय ओह बुता ल उसराथे...तेकर बर ... खड़े होके बिन बुता करे अपन मुं के खाथे ... जनम भर ।

*** खाबा बनि
जनक साव जी बड़े मनखे संग रहे, बुले, गांव, गंवई जाए के शौखिन
गुंडी म सबके संग सिंधी सतल्ला ताश फेंटे के बड़ साध ...
धर ले संगत साधु के ..... हाना म परमारथ म जी देवइया प्रानी ...
जे मेर चिक्कन खाये खजुवाये के बेवस्था होगे ...पागा पनही तीयार 
आग लगे बस्ती म हम रहीं बस मस्ती म ...पर के दाना हकन के खाना

*** बेगारी 
आय तो ए ह बुता आउ बनिहारी, भूतिहारी ले जबड़ बुता आय ...
मोर मन परिस त ...मोर घर ले खाके संगी घर लकरी फोरे गयें ...
ओहु ह मोर हरे खटके म आथे मोर घर कभू पैरा धरे त कभू गाय दुहे
आन गांव घला कुछु समान पहुँचाए बर रथे तभो जाथे ...

*** सांफर 
बने नई होवय फेर सांफर म नांगर फांदथे आउ जांगर खंटाथे ...
न तो तोर बईला ल फेंके सकस न नांगर ल भुर्री बारे सकस त सांफर
जांगर के पुरत ले उठा सकाऊ काम बुता ल ले आउ दे जिनिस

*** मजूरी
बनिहार / भूतिहार / अमानी के मनखे लगगे बुता काम म धर लीन अपन ठीहा ...अतकीहा मनखे होगे ओह मजूरी म रहिगे ....
काम के दाम मिलिस नहीं त पुरोहित Neelmani Tiwari  धरा दिस 
कम , अतकीहा के बरोबर बनि, भूति, मजूरी सब मजूर कर लिस ।।

***सरदारीन
गउँटिया सब परकार के गुन अवगुन के मालिक त ओकर बुता कइसे होही
कड्डा  माई लोग अपन नंजर म बनिहारीन ले गईस आउ अपने आँखि म 
घर अमराइस टोली के टोली संगे संग घर त नवा बहुरिया, बेटी, बहिनी, सियान दाई समटर्र्क बुता करिन फेर अपन-अपन घर ...
न मालिक करा भूति लेहे गईस नवा बहुरिया न कांहीं बद्दी ...
सरदारीन फोकट म नई कहावै चिन्हथे मालिक के नंजर आउ नवतोरहा बहुरिया के लचक मचक तेकर सेतिर कभू कभू गारी घला चाल देथे ।

*** कमैलीन 
मोर काकी, बड़का दाई खोखरहींन , आदि-आदि 

*** कमिया 
मोर कमैलीन कस मालिक के कंडील पोंछईया और ओकर अंग रोग 
बस समझ लेवा मालिक के जासुक लम्बर एक ...
बैईठ के गउँटिया के माल मसाला के अकेल्ला चुहकवईया 

,*** गांवजल्ला बरसिहा 
राउत, नाउ, धोबी, आउ होंहि  काय ,...???
गाय चराये बर, राउत राधेश्याम गिंया 
मरनी-हरनी म धोवाई - कंचाई बर टेटकी दाई ...
मरनी-हरनी, छट्ठी, छेवारी म रामफल नाउ 
लोहार खेती किसानी के काम बर
पईकिहिंन दाई लोग लइका के छट्ठी छेवारी 

*****गांव जल्ला म मोर पैलगी  पइकहीन दाई जेकर बिन हमन अरे नहीं मोर जनम ह नेरूहा छिनाये बिन कहाँ बने रहितिस ...
आउ ओकर घरवाला जे हर आज घलो जात के उटका पंची ल झेलत जियत हवय, फेंक देंवन अमहा खेत म मरी ल ...तेकर खाल ल बिन संकोच पूरा गांव के जिनगी बर निकारके लेगे हवय, डहर म बाँहचे हाड़ा घलो ल जतने हवय मोर पैलगी ए करम के करईया ल ...

*** अधिया 
आज तो ए सारे बेंदरा के मारे कोनो मेर तील, राहेर बोंवत नई बनत हे
नहीं त रार के रार बोंत रहेन तिवरा, अंकरी, चना, मटर , मंटूरा
अरे भुलागे रहें हो उतेरा म डारे बर परय फेर अंकरी अपन मन के जुन्ना बिजहा जाम जावय, अंकरी, तिवरा, कोदो के लुवाई कभू बनी म नई पोसाइस , ए ह सदा बरत अधिया म ही लुवाई के खंजा परय ।
लू के मढ़ा दिन फेर मिंज के आधा ***कुना*** आधा दाना बांट के ले गे
कुना ह गाय, भैंस के गजब के खुराक बनथे आज घलो ।
खेत घलो आज घलो अधिया बोंथे मोर गांव म । सब्बो आधा आधा ।।

*****
गांव की व्यवस्था में पढ़ा लिखा व्यक्ति भी बनिहार बन जाता है ।
परिस्थितियों के अधीन हमने बेहतर लोगों को भूति में पाया ।
चालक व्यक्ति जीवन पर्यंत सौंजिया काम का आनंद लेता है ।
गरीब भूमि हीन इंसान रोजी कमाने निकल आता है गांव से शहर की डगर
पढ़ा लिखा जुगाड़ू इंसान ठेका लेकर ठेकेदारी करके कमीशन खाता  है ।
आलसी साला अमानी में आड़े वक़्त काम को अपने पास रखता है ।
मजबूर सांफर में वो सब करता है जिसे अभाव के कारण ना नहीं करता 
बरसिहा उसकी नियति बनी कारण एक नहीं अनेक बने बस वो जीता है
सरदार अपने वाकचतुर्यता का खाता है जुगाड़ और आड़ की कसम ले ।
सरदारीन चपल नारी जो लोगों के मर्म को समय की धार संग समझती है 
माफी सरदारीन कभी-कभी अपने मृदुल व्यवहार से संदिग्ध बन जाती है ।

बस यूं ही बैठे-ठाले
19 दिसम्बर 2024
पौष कृष्णपक्ष चतुर्थी 

जरूरी नहीं जिसे मैंने जिया है वो आपके मापदण्ड में खरा हो ।
भूल चूक और अवलोकन संग अनुभव भिन्नता की माफी ...

*** अकारथ ***

@ १...२ का ०४ और ०४...०२ का http://xn--d4bc.com/ बेर्रा
बारा मिंझरा ..बारा जतिया ...चुरगे त अब खोज ..अलग भाजी के सेवाद
खोवा गे भाजी नून मिरचा, दही, महि, बोइर, अमचूर, अमली सब डरागे
लाल भाजी, मखना भाजी, गुंर्रु भाजी, पोई भाजी, मेथी भाजी, मुनगा भाजी, खेंड़ा भाजी, चना भाजी, चौलाई भाजी, पालक भाजी, गोभी भाजी, करमत्ता भाजी,  सब छांट निमारके रांध दिन ...
परगे फोरन मिरचा, लसुन, के फेर देख ओकर मिठास ...

*****
बेर्रा साग म माताराम पऊल दिस गोभी, गोभी के पान, ओकर डेटरा, भांटा, सेमी, कुंदरू, डोंड़का, तरोई, मखना, मखना भाजी, आलू, खेंड़ा,
चेंच के छोड़ें सब्बो भाजी, फेर कोंहड़ा आउ कलेरा के छोंडे सब्बो साग ओकर फोकला समेत गदबद ले चुरो दे सब्बो ल बीड़ के करईहा म ...
पूरा साग करछट रंगके हो जाथे ,अरे लसुन, जीरा, सरसों के फोरन घलो रथे राम जी तेमा धनिया, मसाला सब्बो डारके बड़बड़ ले चुरो डार...
आजकल एला मुक्स के मिक्स साग कथें सहर म ....

*****
बेर्रा रोटी के चलन होगे हवय नहीं त पहिली निमरा रोटी परोसाय ...
अंइरसा,गुलगुला, ठेठरी, खुरमी, खाजा मन किसिम -किसिम के खजेना
फेर सोंहरी, चीला, चाउर के अंगाकर, गहुँ के अंगाकर ... के बाते अल्लग
तेकर ले ... चुनी के रोटी म उरीद दार के फोकला संग गहुँ पिसान ...
अब तो गहुँ, चाउर, सोयाबीन, उरीद, चना, बाजरा, जौ, कोदो, कुटकी, 
सब ल साँझर मिंझर कर देथें फेर गदफदवा के सान दे ...
अब तरी म छेना के आगि फेर परसा के पान के पतरी तेकर ऊपर मिंझरा पिसान फेर ओला ओहि परसा पान म बरोबर तोप दे ...अब ओकर ऊपर फेर छेना के आगि ...चुरे दे मतंग मसमसहा छेना के आगि म रोटी ...
एहू सारे ह बेर्रा बेर्री रोटी आय ...
लाल के होवत ले चुरोय ए रोटी फूल जाथे देवढा अपन हिसाब ले ...

*****
दार घलो आजकाल बड़े बड़े डहर के होटल / ढाबा म मिंझरा चुरोत हवय
दार के घलाव महिमा अपरम्पार हवय ...
दार जेला पिसवा के बने जात के बघार के कढ़ी बना डार ।
फेर मन परय त नई चुरोये त घाम म बगराके सुखो डार, ।।
राहेर, मसूरी, लाखड़ी, उरीद, मूंग, चना, मटूरा, मटूरी , चनौरी, 
भाजी आउ दार के अंचरा आउ छाती के मया नेम धरम हवय ।
भथुवा भाजी संग मसूरी दार सैघो डार के बने दार ...डार 
लाल भाजी संग चना दार डार फेर लाल सुख्खा मिरचा के फोरन ...
चुरगे कभू मिंझरा दार त ओकर सेवाद पूछ झन 
काबर होगे बेर्रा दार कभू चेत करे ह ...? 
अरे सिरागे दार रांधत रांधत फेर थोर-थोर बाँहच गे बस होगे बेर्रा

*****
नून... शक्कर...गुर ...फिटकुरी...  संजोग एमन घूरगे पानी म 
कर देख अलग कतका असकट आउ किसकिस लागहि 
एहि कस फूत्का ...चाउर पिसान...चना पिसान... गहुँ पिसान मिंझरगे
अब सूपा-चलनी कामा ओला निमारबे , चालबे के पछिनबे ?
पवन हवा म घूरगे, मिंझरगे , धूंगिया , कुहीरा, काय जिनिस म छानबे ?
दूध म पानी मिला देहे चुरोके पानी ल उड़वा देबे के दूध ल अंउटवा देहे
पानी भाफ बनके उड़ीया गईस त बाँहचीस दूध ओहि गाय के ढेंटी  ले निचोये राउत के बाल्टिल म धरे  दुहे वाला ?
आ चल मिंझार दे सब तला के पानी म गंगाजल ल ...
गंगाजल ले पानी आउ पानी ले गंगाजल ल कइसे निकारबे ???
ए मन कुछु गांव के जनऊला नो हय ..., हमर जिनगी के कथा आय  !

*****
मिंझरगे जिनिस तेला निमारके कुछु उदिम करके फेर अलग कर लेबे ।
मिंझरगे हवय जुन्ना समे ले हमर बात, बेवहार, रहन-बसन, रीत,-रिवाज
धरम, लेन-देन, जिंहा बसेन ते घर , परवार, धरम संग नेंग ....
छत्तीसगढ़ म आके बसेन २५० बछर पहिली हमर जात... मिंझरगे
बर-बिहाव, मरनी-हरनी थोरकन हमर थोरकन ओकर सनागे एके म ...
का मतलब ओकर जस के तस रहे म काय नफा-नकसान ?
मिंझरगे , अलगेच हवय काय फरक परिस मानिस ते मानिस ...
नई मानिस ते ह एक नहीं एक हजार नवा रद्दा निकार डारिस  ।

***** अकारथ *****
लोक मरजाद ले बाहिर गईस जे काम, नेंग, नेम, धरम  के कतको बड़ बुता ...सुमेर पहार कस बुता कउड़ी काम के बरोबर नई रहय, मुरमुंग के फोकला तो आगि म डारबे त गूँगवा के भुंसड़ी भगोही फेर ए ह कांहीं काम के ? बंगहा कांस कस थारी के बटलोही कस होथे काय  ?
ऐमा धरे जिनिस झटकन कस्सा जाथे ...कतको जतन कर ...!
फेर एहू ह निमगा गल्लत ऊपर गल्लत आय के आन के स्वारथ म अपन जिनगी ल ख़पो आउ आखिर म मनशे राख कस बोहवा देंवय !
***** झन बन मरिसा के तीस साल जुन्ना दाना परे... गुर के तोला चिखत- चिखत सिरवा देंवय मनखे ओखद बनाके ....
***** झन बन कोला-बारी के झुनकी तरोई के डहर चलत गरुआ झटक के चर देवय ...
***** काय करबे लकठा के पीनखजूर बनके ....जे पाहि ते लबदेना मारके डहर चलती Rakesh Tiwari किलिक कर देहि ...
जे हमला पा गे बउरे बर तेकर बर हम बन गयेन भगवान ....!
आउ जे ह चूक गे के नई धराऊ परेन बस एहि एक झन बर * अकारथ *

एक दिन संझौति बेरा म गुरु जी Rahul Kumar Singh ल पूछ देखें

बनूँ तो क्या बनूँ ...?
और आखिर क्या बनूँ ...?
बना इंसान तो नाहक मैं मारा जाऊंगा ,...!

बस यूं ही बैठे-ठाले
प्रतीक्षा में कि इस बरस नया क्या हो जाएगा ?
22 दिसम्बर 2024