@#.com तोर पादा चुकागे ... बस होगे
इब्भा खेल के खो खो के खेल ले फुगड़ी बड़ समझ के खेल ...
बिहानियाँ आँखि खुलिस ...जागे मालिक के खेला सुरु होगे ...
तौलाये बर धर लेथे मिरचा मसाला कस तोर कथनी आउ करनी ...
एक घं चढ़गे दतकी कन चुके त छुतिहा हो जाथे ...
लईका के मु ते के काम नई आवय, टारबे त छुआ जाबे ...
ये जिनगी ह सिलेमा कस रील फेर लहुट के काबर नई लपटावय
जिनगी के रील ह फेर गिनती कस एक दु तीन चार कस गिनत बन जाहि?
एक पईत फेर जिये बर मिल जातिस त का पूछ ....?
बड़ कन सही, गलत, लबारी, सच, भोरहा, अंभोरहा बुता निपट जातिस
नई लहुटय न पलटय, न लहुट के घिरी बांधत बनय जिनगी ल
सहेज ,फूंक-फूंक के जी महि घला ल फूंक के पी ....
भले तोला मनखे मन अड़ हा कहय के किल्ली पारके हांसय ...
सुरता हे नई भुलाए पाये हावव आज ले....
मोर बाप मोला १३ अगस्त राति के बेरा ०८ बजके १३ मिनट म कहिस
रमाकांत ...
हव बाबूजी
सुन न बेटा सब्बो पैसा ल दाई ददा, भाई बहिनी मन बर झन खरचा कर देबे ... नहीं त सासत बिप्पत म फंसे त तोर मुड़ के देंवता नई उबारय तोला ... बस फंसे त फंसे रही जाबे जनम भर ....
कस बाबूजी मैं तोरे बेटा आंव न ग ...
हव जी मोरेच बेटा अस... कइसे पूछे ?
कस ग जब तैं नई बदले जनम भर त तोर लहू ह कइसे बदल जाहि ...
अरे ओई तो बात आय ओई डर ह कसकत हवय...
अरे मोरे च बेटा अस त तो कहत हावव तोला के मोरे कस दुःख झन पाबे
देख तो संजोग ल ... बेलासपुर मिश्रा अस्पताल म ...
१४ अगस्त रविवार १ बज के २८ मिनट म बाबूजी हाथ ल छोड़ा लिस !
बाबूजी चेताइस सुन बेटा ....!
,कभू भी तोर आगू परोसे थारी ल आन बर झन सरकाबे ...!
कइसे कहे ग बाबूजी समझ म नई आईस
अरे मोर कहना हवय कि तोर बारी आइस त ओकर तैं खुद सेवाद ले
अपन बारी ल आन ल झन दे , मनशे मन जिनगी भर एदे ...ओदे ...
कहत निकार देथे ...! काल कहे बर हो जाथे कि तोर तो पारी खतम
*** तोर तो पादा चुकागे *** अब काय के तोर पारी ...?
पादा .....? आखिर आय काय ....???
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बहुत जानबकार बबा Ravindra Sisodia अगोरत हवय अपन पारी ल चेत करके.... उमर पहागे आँखि म तश्मा चढ़गे ...परे हवय आरो देखत..
एक झन भखला आइस आउ अनचेतहा सब ले उड़िस ...
बने रह बहंगर ....धरे रह तोर बुद्धि ल झाँपि म....
लगात र तोर टीरिक ऊपर टीरिक अंगठि म गिनत र दिन ...
गै अब तैं पागुर भांजत बइठे र ...तोर *** पादा *** चुकागे
त तो सियान मन कहय सावन के पहिली मुंही पार ल बांध ले ...!
कुंवार म मुंही बांध के करबे काय ?
सब काम के एक उमर हवय ...सब जिनिस के एक ठन मिंयाद हवय
फेसन के घला एक ठन जुग रथे तेकर हिसाब म ओ ह फभथे...
दिन ...बेरा... तिथि...घरि... मिंयाद...मनषे... खतम होगे .. सब अकारथ
बेरा रहत ओकर नेंग, नेम, सुरता, आत बेरा म पूछ सरेख लें...
जात बेरा म नेंग के फिरती लुगरा / धोती मढ़ा दे खांध म ...
पादा चूकोये कस 65 रु के सरके लुगरा ल खांध म झन खपों
बहिनी, बेटी, फूफू, हमर नता बड़ मयारुख 2000 रु के पिट्रोल जलाके
घर ल तारा लगाके तोर दार भात खाये नई आये हवय ...!
हमर बहिनी रैपुर ले आइस भर मंझनियाँ भले अपन गाड़ी म आइस त फटकारिस आउ कहिस बाबू न हम तोर घर पादा चूकोये आये हवय न झन तैं छिछोरहा बेवहार कर दुःख पा ! जइसे आएंन ओइसनहे अपन साधन म लहुट जाबो कुछु जंजाल झन कर लोक लाज बर चार घरि रुक
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ए सरकार हर बछर नौकरी के चिट्ठा हेर देथे बिहानियाँ के पेपर म...
लईका मन सौंख म पढ़ लिख डारिन फेर अक्कल सन्ना भीतरी हवय
भरती निकरे हवय १३ झन के आउ गैंगरुआ कस बिलबिलाके पूरा परदेस म इतवार के परिच्छा देत हवय ३००००००००० ,लोग लईका...
कई हजार के फारम, फेर डाक टिकिस, फेर पुस्तक, फेर रात रात पढ़ाई, फेर परिच्छा के दिन गाड़ी म पिट्रोल फुंकाई, आउ आखिरी म हाई कोर्ट ले रोक लग जाथे के सवाल अन्ते के तनते छपे छापे रहिस...
मोर देखत म ५० बछर होगे परिच्छा चलत आउ फेल होवत...
सरकार चाहे कोकरो होवय... प्रधान मंतरी कोंहुँ होवय...
मुख्यमंत्री, सरपंच, साहेब, सूबा बनत बिगड़ गे फेर ....
ए सारे *** आदा पादा किसने पादा राम जी के घोड़े ने पादा
ठांय.. .ठूस... फुस... ***
फेर ओई खेला चलत हे चलत रहिहि ...
हवय हिम्मत उकील Ashok Agrawal तोर ए हे म ...?
त लगा एक ठन चिट्ठा हाई कोर्ट म आउ सुधार बेवस्था ल ....!
देखा तो गुरु Rahul Kumar Singh कई करोड़ के फीस भरथे लईका मन कहाँ जाथे काकर दांदर म भरा जाथे गम नई मिलय...
परिच्छा ऊपर परिच्छा ...सरकार, लईका, दाई, ददा, सब पादा चूकोवत
नाश होगे कई बंश ले बंश फेर खेल *** पादा *** के चालू हवय
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लइकई म तला के भीतरी म गड़े खंभा ल छू के आवन ....
ई ही किसिम के दुरिहा के पेड़ पथरा ल छू के फेर लहुट जावन...
अकारथ काम कस जवाई आउ अवाई थोथवा बुता ...
जेला कथें माथेल छुवाई ई हर आय *** पादा *** चुकाई ?
बस यूं ही बैठे-ठाले
08 फरवरी 2025