मेरा निजी अनुभव आप सहमत हों न हों
किन्तु ध्रुव सत्य अटल, अजर, और अमर
देश के तीन स्तम्भ कार्यपालिका, व्यवस्थापिका और न्यायपालिका धीरे से जुड़ा चतुर्थ स्तम्भ पत्रकारिता और अब
इनके सांसों की डोर थामे शीर्ष पर ......चिकित्सालय
पूरे कायनात को संचालित करते हैं हम जब तक जीवित हैं
अन्यथा भव्य इमारत और टेबल कुर्सी महत्वहीन हैं
खण्डहर और अट्टालिका, मन्दिर-मस्जिद, विचार और क्रांति
प्रगति और इतिहास संग भावी पीढ़ी सबकी सांसें आज चिकित्सा ने अपनी गिरफ्त में ले रखी है । कल हम रहें और सुरक्षित रहें इसीलिए " नेरूहा ,, stem cell को सुरक्षित रख छोड़ा है ।
इसी कल ने आज के अस्तित्व को संदेहास्पद बना दिया ।
हम मोहताज और पूर्णतः निर्भर हो गए हैं चिकित्सालय के
चिकित्सक की मनमानी, दवाइयों के अद्भुत कीमत,
बेलगाम चिकित्सा पद्धति, खुला चिकित्सा व्यवस्था,
अव्यवस्था का अम्बार देहरी से कॉरिडोर तलक
चिकित्सा में दी गई छूट वेंटिलेटर जिसे हटाने का अधिकार
देश की सर्वोच्च सत्ता राष्ट्रपति को भी नही है ।
वेंटीलेटर से LAMA कुछ हद तक निजात देता है
हमारी हैसियत हो कि न हो आप चिकित्सालय में बाध्य हैं
आपको चिकित्सालय किसने बुलाया
दवाईयां ज़रूरी है आप बाहर से नहीं ला सकते
30, 678 रु की दवाई की वास्तविक कीमत 890 रु
भोजन अस्पताल में से ही खाना होगा
दवाइयां लगी कि नहीं आपको कौन बतलायेगा
अनावश्यक प्रोसीजर भी डॉ निर्धारित करेगा
24 घंटे के सेकण्ड से भी ज्यादा बूंदों को वही सत्यापित करेंगे
अनुबन्ध का निर्धारण और समाप्ति चिकित्सक के हाथों
आपके रिश्तों का कोई मोल नहीं वो एक मरीज मात्र
पग पग पर पहरा और अवरोध
ऐसे हजारों बन्धन यहां तलक आपका मरीज *** बंधक भी
मृत्यु के हज़ारों सबूत और जायज वैधानिक कारण
आज शीर्ष पर यह स्थापित पञ्चम स्तम्भ ****चिकित्सालय
न जाने कब चुनाव फंडिंग का अभेद अस्त्र और शस्त्र बन गया
आपने भी इसकी गर्माहट और आहत को महसूस किया होगा
तथाकथित कोविड महामारी और गत चुनाव की छाया में
आज ये तथाकथित धर्मस्थल ( चिकित्सालय ) व्यापार केंद्र में तब्दील हो गये तभी तो सुनीता सिंह UHID 1862895 मेदान्ता द मेडिसिटी की निर्मम सुनियोजित हत्या हासिये में
18 जुलाई 2021
आषाढ शुक्ल ९