गुरुकुल ५

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Thursday, 27 December 2012

जीवन

नव वर्ष की शुभकामना 

इस धरा पर जन्म लिया कालजयी बना?
श्रृष्टि के प्रारंभ से अवतरण या प्रकटीकरण हो
पैरों ने स्पर्श किया वसुधा को जवाब देना पड़ा?
धर्म की रक्षा या अधर्म के नाश में बने कालजयी?

प्रति पल प्रश्न पर प्रश्न शाश्वत क्या है?
जीवन है क्या, जीवन का मूल?
जन्म की सार्थकता कैसे?
क्या खो दिया, क्या पा लिया?

हम प्रति पग कैसे चले?
किसकी छांव में बैठे?
किसने हमें दुत्कार दिया?
किसका आश्रय मिला?

किसने हमारा शोषण किया?
किसका हमने शोषण कर दिया?
कब हम गिर पड़े?
किसके कंधे का सहारा लिया?

किसको बनाया हमने  सीढ़ी?
सीढ़ी बन गए किनके?
किस पड़ाव पर रुक गये?
संजोग से रखा कदम और गिर पड़े?

किन सत्कर्मों से लड़खड़ा गये कदम?
मंजिल की चाह में ही अपना ली पगडण्डी?
कहाँ से लौटना पड़ा?
कौन राह से लौट गया वापस?

छुट गया कौन बीच राह में?
क्यों किसे हमने छोड़ दिया?
ज़िन्दगी में
पड़ाव, लक्ष्य, ठहराव, शांति, तुष्टि,

कर दें परिभाषित परम और चरम कैसे?
हमने जो जिया वही सब सच?
यही सबका सच?
अंत या मोक्ष?

न इसके आगे?
न इसके पीछे?

06.07.2010
चित्र गूगल से साभार  

Saturday, 22 December 2012

विक्रम वेताल 7

यत्र नार्यस्त पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः?

राजन क्या आप ही
न्याय प्रिय विक्रमादित्य हो?
न्याय और विद्वान के संरक्षक?
तब आज जिह्वा पर ताला क्यों?

क्या बलात्कारी आपका पुत्र?
या आपका हितैषी?
राजदार जो संकट मोचक?
या जोरू का भाई?

क्या उसे कल भारत रत्न देना है?
या किसी महापुरूष की संतान?
है कोई  युग पुरुष?
जिसे फांसी  दे देने से

मानवता कलंकित हो जाएगी?

लोग सड़क पर उतरें?
एवज में बेटी के बलात्कार के?
क्यों कोई मुह ताके न्याय के?
न्याय बिन गुहार के मिले?

उम्र कैद उचित?
या तथाकथित अंग भंग?
या मानवाधिकार का सहारा लें?
बचा डालें अपनी बहन सौपने कल?

गैंग रेप कोई महान कृत्य?
जिस पर बहस ज़रूरी?

फांसी के अतिरिक्त कोई अन्य सजा कारगर?
संविधान में संशोधन ज़रूरी?

राजन
भोथरी हो गई तुम्हारी तलवार?
आज कोई गड़रिया चढ़ेगा टीला पर?
राजा भोज खोजेगा सिहासन बत्तीसी?

शायद त्वरित उचित न्याय ही रोके
जन आक्रोश और बलात्कार

21.12.2012
यह रचना *** अस्किनी *** संग 
हर बेटी, बहन, माँ, को समर्पित
चित्र गूगल से साभार
  

Tuesday, 18 December 2012

बंजर



1*
बंजर जमीं पर
रोप दिए मैंने
बिना बुझे
नीम और जामुन
लोग तोड़ते हैं दातून
बच्चे खाते हैं जामुन
फैला जाते हैं कचरा?
खाद बनाने

2*
मेरे पूर्वजों ने
धरा में बना दिए गड्ढे
भर जाता है बारिश का जल
डूब जाते हैं जानवर और बच्चे
शरीर की अगन बुझाने
अन्न के लिये
आज वो जल भी दे जाता है

3*
एक नन्ही सी गौरैया
हर बरस बिन नागा
बनाती  है अपना घोसला
आज वो बस गई है
मेरे पुराने चित्र के पीछे
मन सशंकित हो उठता है
कभी-कभी सोचता हूँ
मेरे जाने के बाद
ये घोसला न उजड़ जाये?

4*
परिवर्तन और परिवर्तन का खौफ
दिल और दिमाग पर
पैठ गया है जड़ें जमाकर
लेकिन क्या करें?
पुरखों ने सिखाया है
करम और विश्वास
चल पड़े हैं हम भी
पुरखों की राह पर?

05.06.2012
चित्र गूगल से साभार

Thursday, 13 December 2012

मैं अहंकार



अहंकार बोल उठा?
1*
पिताजी ने एक दिन कहा
तुम मेरी तरह मत बनना
अन्यथा मेरी भांति मरने के बाद
लोग तुम्हें भी मूर्ख कहेंगे
2*
भाई ने राह चलते कहा
तुम इतने अच्छे क्यों हो?
मेरा काम तुमने कर दिया
मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकता
3*
माँ ने थकी सी आवाज में कहा
तुमने अपने पिता के दायित्वों का
कर दिया निर्वहन
मैं चलती हूँ अनंत यात्रा में
4*
यह तुम्हारा कर्तव्य था?
5*
मित्र ने सांझ की बेला में कहा टहलते
तुम भी निकले खानदानी जड़ भरत
दुनियादारी ही भूल गये
तुम्हारी चिता को आग कौन लगायेगा?
6*
एक लड़की बहुत प्यार कर बैठी
आप इतने भले क्यों हो?
आपने मेरा कितना ख्याल रखा
लेकिन मैं साथ नहीं दे सकती
7*
एक दिन लोगो ने सुना
रमाकांत चल बसा
अरे मर गया?
चलो अच्छा हुआ
मर गया, मर गया
8*
कुछ मन से कुछ अनमने
हो गये इकट्ठे झोकने आग में

एक कानाफूसी हुई

जीया भी तो किसके लिये?
और मर भी गया तो किसके लिये?

13.12.2012
chitra googal se sabhar
             

Friday, 7 December 2012

पलायन




प्रवास या पलायन
पलायन या बचाव
समय की मांग?
स्व के लिये संघर्ष?

अभी तो जी लें
सोचेंगे फिर
बच गए तभी तो
कुछ पाएंगे?

आत्मा ने कहा?
जाओ भाग जाओ?
चलो पहले
प्राण बचाओ?

कृष्ण रणछोर?

बैक फुट पर आना
मैदान छोड़ना?
या पूर्ण आवेग से?
लौटना लक्ष्य की ओर

एक मुहीम अनुसार
नए छितिज की तलाश?

एक उत्साह एक उमंग?
सब व्याकुलता में?
जीवन की व्यर्थता की ?
अपूर्णता या पूर्णता की खोज में

जिसने छोड़ भी दिया
क्या पा लिया?
जिसने पा लिया
उसने क्या खो दिया?

सब कुछ बीत जाने पर
किया धरा निरर्थक?
समझौता किससे?
किसके सामने घुटने टेकना?

प्रवास कहाँ?
किसके लिये?
जीवन पुनः?
यही जीवन की सार्थकता?

ज्यों जहाज का पंछी
पुनि पुनि जहाज पर आय

समुद्र को पार कर पाना संभव?

नए राह की तलाश क्यों?
या नए राह की तलाश में?
सब कुछ छुट जाने पर
है वापसी संभव?

शाश्वत मार्ग?
जो चुना गया?
संभावनाओं की तलाश में?
या समस्त संभावनाएं समाप्त?

जीवन या मृत्यु?
मृत्यु या जीवन?
संघर्ष के बाद?
संघर्ष बिन विक्षुब्ध?

15.10.2012
चित्र गूगल से साभार

Saturday, 1 December 2012

ना लिखूं




जब भी लिखती हूँ
बुरा मानते हो?

ना लिखूं तब क्यों
बुरा मानते हो?

जानते हो हाल--दिल
तन्हाइयों में?

ख्वाब-रंज-सुकुं
नसीब होते हैं?

दर्द--दिल
कहाँ जानते हो?

लौटकर फिर साहिल से
फिर साहिल को लौटती हूँ

29.10. 2012
चित्र गूगल से साभार