नव वर्ष की शुभकामना |
इस धरा पर जन्म लिया कालजयी बना?
श्रृष्टि के प्रारंभ से अवतरण या प्रकटीकरण हो
पैरों ने स्पर्श किया वसुधा को जवाब देना पड़ा?
धर्म की रक्षा या अधर्म के नाश में बने कालजयी?
प्रति पल प्रश्न पर प्रश्न शाश्वत क्या है?
जीवन है क्या, जीवन का मूल?
जन्म की सार्थकता कैसे?
क्या खो दिया, क्या पा लिया?
हम प्रति पग कैसे चले?
किसकी छांव में बैठे?
किसने हमें दुत्कार दिया?
किसका आश्रय मिला?
किसने हमारा शोषण किया?
किसका हमने शोषण कर दिया?
कब हम गिर पड़े?
किसके कंधे का सहारा लिया?
किसको बनाया हमने सीढ़ी?
सीढ़ी बन गए किनके?
किस पड़ाव पर रुक गये?
संजोग से रखा कदम और गिर पड़े?
किन सत्कर्मों से लड़खड़ा गये कदम?
मंजिल की चाह में ही अपना ली पगडण्डी?
कहाँ से लौटना पड़ा?
कौन राह से लौट गया वापस?
छुट गया कौन बीच राह में?
क्यों किसे हमने छोड़ दिया?
ज़िन्दगी में
पड़ाव, लक्ष्य, ठहराव, शांति, तुष्टि,
कर दें परिभाषित परम और चरम कैसे?
हमने जो जिया वही सब सच?
यही सबका सच?
अंत या मोक्ष?
न इसके आगे?
न इसके पीछे?
06.07.2010
चित्र गूगल से साभार