गुरुकुल ५

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Thursday, 27 October 2011

समय और चक्र



अब सिद्धार्थ बुद्ध नहीं बनेगा
शुद्धोधन अपने पुत्र पर

यशोधरा अपने त्याग पर
कभी गर्व नहीं कर सकेंगे।

क्यों अवतरित होगा भगीरथ
तर्पण करने पूर्वजों के

नहीं बहेगी चन्द्रशेखर की
जटाओं से गंगा की धारा।





निरपराध बर्बरीक
अब अपनी गर्दन बचा लेगा
कृष्‍ण के सुदर्शन चक्र से
ठहाका मारेगा स्वजनों के वध पर
परम आनंद लेगा
सशरीर युद्ध की विभीषिका का।
धृतराष्‍ट प्रसन्न है अपनी दृष्टिटहीनता पर
गांधारी की नंगी आंखों में कोई क्लेष नहीं
दुर्योधन पारंगत हो गया है
युद्ध और राजनीति में।
समय और चक्र!

काट लेगा एकलव्य गुरु द्रोण का अंगूठा
प्रवीण क्यों होगा
अर्जुन
छल से धर्नुविद्या में
किन्तु समर भूमि मे
कर्ण ही बलि और महानायक होगा।
गोपियों का मोह भंग हो गया
गोकुल का ग्वाला अपंग हो गया
नाग कालिया दह से बाहर निकल
राजपथ पर विष उगल गया
लाक्षागृह का निर्माण पांण्डव करायेंगे
यशोदानंदन कदंब पर बैठे बंशी बजायेंगे
पॉचजन्य धरा रह जायेगा।
परीक्षित बच जायेगा
खण्ड-खण्ड होगा भरत का भरतखण्डे
संजय बदला-बदला धृतराष्‍ट संजय बन गया
समय और च्रक!

अब दशरथ का शब्दभेदी बाण भोथरा हो गया है
श्रवन मरेगा ही नहीं, न मां बाप श्राप देंगे
न होगा पुत्र शोक, न रावण का नाश।
न बाली का वध न सुग्रीव की मित्रता
राघवेद्र सरकार भी अब मर्यादित हो गये हैं
उर्मिला द्वार पर प्रतीक्षा करे
शनै-शनै रामराज्य की कल्पना मे
ऋषियों के साथ जनपद भी आत्मदाह कर लेंगे
गर्व से रावण राज करेगा लंका पर
विभीषण आज्ञाकारी अनुज बन राज-सुख भोगेगा
समय और चक्र!
शकुन्तला अब धर पर नहायेगी
तब ही अंगूठी अंगुली में बच पायेगी
दुष्‍यंत हर पल याद करता रहेगा
राज काज में भी दिया हुआ वादा
भरत निर्भीक खेलेगा सिंह की जगह न्याय से।
हरबोलवा गायेगा झांसी की रानी?
देश की खातिर भगत चढेगा फांसी?
वतन फरोशी के बिस्मिल गीत गायेगा?
चारों पहर बह रही है खून की नदियां
दिल और दिमाग जैसे कुंद हो गया
समय और चक्र!

बनूं तो क्या बनूं


बनूं तो क्या बनूं और आखिर क्यों बनूं?
बना इंसान तो नाहक मैं मारा जाऊंगा।

बना राम तो बनवास चला जाऊंगा
लक्ष्मण बन गया तो
शक्ति सह पाऊंगा?
सीता बनी तो अग्नि परीक्षा होगी।
कैकेयी बनी तो
बना दशरथ तो
पुत्र शोक सहना होगा।
कैकेयी बनी तो राह ताकनी होगी
रावण बना तो
दसशीश बन पाऊंगा?

बनूं तो क्या बनूं और आखिर क्यों बनूं?
बना इंसान तो नाहक मैं मारा जाऊंगा।

कृष्‍ण बना तो
महाभारत रचना होगा।
धृतराष्‍ट्र बना तो
अंधा हो जाऊंगा।
गांधारी बनी तो पट्टियां बांधनी होंगी
कुन्ती बनी तो
करन पाना होगा।
करण बना तो
सारथी सूत कहलाऊंगा
भीष्‍म बना तो, शर सेज ही पाऊंगा
बना अर्जुन तो
स्वजन हत पाऊंगा?
बनूं तो क्या बनूं और आखिर क्यों बनूं?
बना इंसान तो नाहक मैं मारा जाऊंगा।


बना बुद्ध तो यातना सह पाऊंगा
यशोधरा बनी तो
राहुल पालना होगा।
लक्ष्मी बनी तो तलवार उठानी होगी।
आजाद बना तो
खुद को मारना होगा।
बना भगत जो
फांसी चढ़ पाऊंगा?
और जो बना गांधी
गोली झेल पाऊंगा?
बनूं तो क्या बनूं और आखिर क्यों बनूं?
बना इंसान तो नाहक मैं मारा जाऊंगा।

10.06.2002

चित्र गूगल से साभार

एक ही पल में


छुप गया सूरज
क्षितिज में आज
नींद और सपने
जीवन की डोर
रुक गये पलकों पर
एक ही पल में




घर की दीवारें
मंदिर के कलश
गिरिजा के क्रास
मस्जिद के गुम्बद
कर दिये दफन
एक ही पल में

बंद हो गई राहें
टूट गई पगडंडियां
तंग पड़ गये आंचल
फैल गये सजदे में
हिंदू-मुसलमां मेरे
एक ही पल में

ये हादसा क्यों
एक ही पल में
और क्यों इंतजार
इन हादसों के लिये।
मेरे घर का आंगन ही
एक ही पल में।

14-11-2005
भारत-पाकिस्तान सीमा पर और लीबिया भूकम्प में मारे गये
विश्‍व धरोहर बच्चों की याद में समर्पित