tag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post701183298297118893..comments2024-03-24T21:31:58.189+05:30Comments on ज़रूरत: वसीयत WILLRamakant Singhhttp://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comBlogger35125tag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-16325364164419046182013-11-15T05:58:29.656+05:302013-11-15T05:58:29.656+05:30रमाकान्त भाई आपकी वसीयत पढ़ी। अच्छा किया आपने समय ...रमाकान्त भाई आपकी वसीयत पढ़ी। अच्छा किया आपने समय रहते काम कर लिया। वसीयत में घृणा शब्द मुझे थोड़ा उपयुक्त नहीं लगा। प्यार, घृणा, यह सब तो जीते जी के जंजाल है, चले जाने के बाद किससे राग -द्वेष। इसलिए मेरे ख्याल से घृणा वाला वाक्य हटा दे तो ज्यादा बेहतर होगा, फिर आपकी मर्जी। Bhagirath Kankanihttps://www.blogger.com/profile/08478244807347845611noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-18538102528847770932013-11-15T03:58:58.854+05:302013-11-15T03:58:58.854+05:30This comment has been removed by the author.Bhagirath Kankanihttps://www.blogger.com/profile/08478244807347845611noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-5178824614060211722013-08-25T17:00:47.245+05:302013-08-25T17:00:47.245+05:30......बहुत ही लाजवाब
शब्दों की मुस्कराहट पर....तभ.........बहुत ही लाजवाब<br /><br />शब्दों की मुस्कराहट पर<b><a href="http://sanjaybhaskar.blogspot.in/" rel="nofollow">....तभी तो हमेशा खामोश रहता है आईना !!</a> </b>संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-16011949398667630982013-08-24T09:07:28.144+05:302013-08-24T09:07:28.144+05:30आह! कटु सत्य किन्तु कारवाँ गुजरने के बाद धूल को भी...आह! कटु सत्य किन्तु कारवाँ गुजरने के बाद धूल को भी भुला दिया जाता है..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-85731115532513421362013-08-22T21:49:08.735+05:302013-08-22T21:49:08.735+05:30जीवन क्षण भंगुर है न जाने कब सूरज डूब जाये
पूर...<b> </b> <br /><b> </b> <br /><b>जीवन क्षण भंगुर है न जाने कब सूरज डूब जाये </b> <br /><b> </b> पूर्णतः सहमत हूं...<br /><br />लेकिन...<br /><b><i>आदरणीय भाईसाहब रमाकांत सिंह जी</i></b> <br /><b> </b> अभी बहुत समय है...<br /><br />आपके लिए एक लिंक दे रहा हूं -<br /><b> </b> <br /><b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.in/2010/07/blog-post_22.html" rel="nofollow">किसी निराशा की अनुभूति क्यों ? क्यों पश्चाताप कोई ?<br />शिथिल न हो मन , क्षुद्र कारणों से ! मत कर संताप कोई !<br />निर्मलता निश्छलता सच्चाई , संबल शक्ति तेरे !<br />कुंदन तो कुंदन है , क्या यदि कल्मष ने आ घेरा है ?<br />वर्तमान कहता कानों में … भावी हर पल तेरा है ! <br />मन हार न जाना रे !<br /></a></b><br />पूरा गीत मेरे ब्लॉग की एक पुरानी पोस्ट पर है <br />हेडफोन लगा कर सुनते हुए पढ़िएगा...<br /><br />:)<br /><b> ज़िंदगी में सदा मुस्कुराते रहो...</b> <br />♥ रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं ! ♥ <br />-राजेन्द्र स्वर्णकार<br /><b> </b> <br /><b> </b> Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-86249437722417235432013-08-22T08:09:45.926+05:302013-08-22T08:09:45.926+05:30माता जी प्रणाम आपका आशीर्वाद सिर पर है कोई चिंता न...माता जी प्रणाम आपका आशीर्वाद सिर पर है कोई चिंता नहीं परिस्थितियां कब प्रतिकूल हो जाये आपके स्नेह का सदा आकांक्षी Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-42186265703467902612013-08-22T01:55:27.477+05:302013-08-22T01:55:27.477+05:30जीवन के सच स्वीकारना अच्छा है पर अभी बहुत समय तक आ...जीवन के सच स्वीकारना अच्छा है पर अभी बहुत समय तक आप कहीं नहीं जा रहे -आराम से जो करना है करते चलिये !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-83420974053273828632013-08-21T20:23:32.015+05:302013-08-21T20:23:32.015+05:30जीवन का उद्देश्य और प्रेरणा श्रोत आप जैसे स्नेह कर...जीवन का उद्देश्य और प्रेरणा श्रोत आप जैसे स्नेह कर्ता हैं और हम आपके लिए जिंदा हैं कल दुःख कम हो इसलिए आज प्रकाशन लाज़मी समझा आपने आशीर्वाद दिया प्रणाम स्वीकारें। Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-40619511742093162562013-08-21T18:47:57.267+05:302013-08-21T18:47:57.267+05:30ऐसे क्यों लिखा सर ?:( माना इसमें कुछ ऐसी सच्चाइयाँ...ऐसे क्यों लिखा सर ?:( माना इसमें कुछ ऐसी सच्चाइयाँ हैं... जो बहुत ही कड़वी हैं... मगर उन्हें इस तरह प्रस्तुत करना..? -आज रक्षा-बंधन के दिन दिल दुखी हो गया... :( हालाँकि दिल दुखने का कोई दिन, कोई पल निश्चित नहीं होता... फिर भी...<br />"आपका जीवन दीर्घायु हो, सुखी, स्वस्थ तथा मन की शांति से परिपूर्ण हो ... यही हमारी ईश्वर से प्रार्थना है..और सदा ही रहेगी...! "<br /><br />~सादर!!!Anita Lalit (अनिता ललित ) https://www.blogger.com/profile/01035920064342894452noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-90010704510171810462013-08-21T18:30:48.364+05:302013-08-21T18:30:48.364+05:30हरकीरत हीर जी आप जैसी बहन पाकर मैं धन्य हूँ आपने ह...हरकीरत हीर जी आप जैसी बहन पाकर मैं धन्य हूँ आपने हमें चलना सिखलाया और सदा हौसला दिया है आपका क़र्ज़ अगले जन्म भी चुकता हो पाना सम्भव नहीं आपकी भागीदारी का आभार Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-83887852611585627522013-08-21T17:15:47.950+05:302013-08-21T17:15:47.950+05:30रमाकांत जी, फौरन ध्यान दें. दावे-आपत्ति आना शुरू ...रमाकांत जी, फौरन ध्यान दें. दावे-आपत्ति आना शुरू हो रहा है :))Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-90602781044550654942013-08-21T17:14:10.008+05:302013-08-21T17:14:10.008+05:30कहानी, चाहे वह आत्मकथा हो, खुद लिखें तो खुद समेट ...कहानी, चाहे वह आत्मकथा हो, खुद लिखें तो खुद समेट लेना बेहतर होता है, दूसरों के लिखे जाने के लिए असमाप्त छोड़ने के बजाय.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-60840539423578835632013-08-21T16:31:55.399+05:302013-08-21T16:31:55.399+05:30भावों से नाजुक शब्द को बहुत ही सहजता से रचना में...भावों से नाजुक शब्द को बहुत ही सहजता से रचना में रच दिया आपने......... विभूति"https://www.blogger.com/profile/11649118618261078185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-63299545785346563732013-08-21T15:56:05.637+05:302013-08-21T15:56:05.637+05:30पर इस बहन का नाम कहीं नहीं ......... :))पर इस बहन का नाम कहीं नहीं ......... :))हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-91160251884936984402013-08-21T15:55:24.591+05:302013-08-21T15:55:24.591+05:30वसीयत तो ठीक है भाई जान पर इस बहन का नाम कहीं .....वसीयत तो ठीक है भाई जान पर इस बहन का नाम कहीं ......... :))हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-69150408781941768552013-08-21T09:28:16.256+05:302013-08-21T09:28:16.256+05:30सर जी आपने सच कहा बस मन के एक कोने बैठे कुंठा कहूँ...सर जी आपने सच कहा बस मन के एक कोने बैठे कुंठा कहूँ या विचार को व्यक्त कर दिया। मृत्यु के बाद क्या सही, क्या गलत कौन जानता या देख पाता है। ये विचार मेरी आत्म कथा के अंश भी हैं। Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-79663591043365762262013-08-21T09:09:45.642+05:302013-08-21T09:09:45.642+05:30आपकी पोस्ट का शीर्षक है- ''वसीयत WILL'...आपकी पोस्ट का शीर्षक है- ''वसीयत WILL'', बस यहीं अटका हूं, आगे नहीं बढ़ पा रहा...<br />WILL-इच्छाएं शायद मुमुक्षा के साथ तीव्र होने लगती हैं, देह-अन्त होता है, इच्छा का नहीं...<br />जीवन-मरण का चक्र, पुनर्नवा...Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-60590375476259691702013-08-20T23:07:12.007+05:302013-08-20T23:07:12.007+05:30यह सत्य है कि मौत कब आ जाय,और मरने के बाद कोई विवा...यह सत्य है कि मौत कब आ जाय,और मरने के बाद कोई विवाद निर्मित हो,बेहतर है कि अपनी वसीयत आज उजागर कर दे,और मरने के बाद आत्मा को शान्ति मिले,,<br /> <br /><b>RECENT POST </b><a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2013/08/blog-post_18.html#links" rel="nofollow">: सुलझाया नही जाता.</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-48584290208586841132013-08-20T22:33:58.228+05:302013-08-20T22:33:58.228+05:30सर जी आपसे क्या परदा या छुपा है या छुपाना, जो कल द...सर जी आपसे क्या परदा या छुपा है या छुपाना, जो कल दर्द दे उसे आज अपनों को उजागर कर देना बेहतर Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-85830270436027661432013-08-20T20:22:27.138+05:302013-08-20T20:22:27.138+05:30मेरी मान्यता है वसीयत निजी दस्तावेज है इसे सार्वजा...मेरी मान्यता है वसीयत निजी दस्तावेज है इसे सार्वजानिक कर समाज सुधार हेतु कोई सन्देश देना चाहते हैं.ऐसा प्रतीत हो रहा है राजेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/02628010904084953893noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-55679180255495075852013-08-20T20:10:31.856+05:302013-08-20T20:10:31.856+05:30सफ़र कहाँ ख़त्म हो जाये पता नहीं। अचानक चला चली क...सफ़र कहाँ ख़त्म हो जाये पता नहीं। अचानक चला चली कौन जानता है। इसलिए थोड़ी सी सावधानी, बस और कुछ नहीं। यह मेरे आटोबायोग्राफी का हिस्सा भी है। Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-47764421069874225062013-08-20T19:34:54.817+05:302013-08-20T19:34:54.817+05:30अच्छे विचार हैं.
लेकिन अभी से ऐसा क्यों सोच रहे ह...अच्छे विचार हैं. <br />लेकिन अभी से ऐसा क्यों सोच रहे हैं बंधू ! <br />अभी लम्बा सफ़र तय करना है. <br />डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-75539785519534352172013-08-20T18:27:04.223+05:302013-08-20T18:27:04.223+05:30देवासुर संग्राम हो रहा नित-प्रति हर युग में हर बार... देवासुर संग्राम हो रहा नित-प्रति हर युग में हर बार । उचित-अनुचित की समझ कठिन है ज्यों हो दो-धारी तलवार । हुआ पराजित नर षड्-रिपु से नित्य-निरंतर बारम्बार । लक्ष्य हेतु तत्पर है फिर भी उसे चुनौती है स्वीकार । " शाकुन्तल" से । शकुन्तला शर्माhttps://www.blogger.com/profile/12432773005239217068noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-58124880046198580562013-08-20T18:04:32.720+05:302013-08-20T18:04:32.720+05:30जीवन ्के कुछ कठोर सच..रक्षाबंधन की शुभकामनाएंजीवन ्के कुछ कठोर सच..रक्षाबंधन की शुभकामनाएंMaheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-35410750552911015892013-08-20T16:06:54.901+05:302013-08-20T16:06:54.901+05:30गहन भाव लिये मन को छूती प्रस्तुति गहन भाव लिये मन को छूती प्रस्तुति सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.com