tag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post4988726619473413341..comments2024-03-24T21:31:58.189+05:30Comments on ज़रूरत: विक्रम और वेताल 13 Ramakant Singhhttp://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-40429382863042574432013-07-18T16:14:43.134+05:302013-07-18T16:14:43.134+05:30बड़ी खूबसूरती से वाद-संवाद को आप शब्द देते हैं.. बड़ी खूबसूरती से वाद-संवाद को आप शब्द देते हैं.. Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-7405107005814430432013-07-15T20:59:29.599+05:302013-07-15T20:59:29.599+05:30राजन
आपकी भृकुटी क्यों तन जाती है
मत भुलिये ये संस...राजन<br />आपकी भृकुटी क्यों तन जाती है<br />मत भुलिये ये संसार सार है ..........सही है .....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-40688276194856716412013-07-13T23:33:18.934+05:302013-07-13T23:33:18.934+05:30वाह! बहुत बढ़िया!वाह! बहुत बढ़िया!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-88272017320793614632013-07-11T20:58:00.445+05:302013-07-11T20:58:00.445+05:30"संसार विषवृक्षस्य द्वे फले अमृतोपमे ।
काव्य..."संसार विषवृक्षस्य द्वे फले अमृतोपमे । <br />काव्यामृतरसास्वादन संगतिः सज्जनैः सह " <br />इस संसार रुपी विष-वृक्ष में दो ही अमृत-रूपी फल लगे हैं । एक - साहित्य का रसास्वादन और दूसरा - सज्जनों की संगति । शकुन्तला शर्माhttps://www.blogger.com/profile/12432773005239217068noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-57477388086305634672013-07-11T20:38:37.992+05:302013-07-11T20:38:37.992+05:30बेहतरीन कविता |बेहतरीन कविता |Tamasha-E-Zindagihttps://www.blogger.com/profile/01844600687875877913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-56974954492304328782013-07-11T20:08:38.871+05:302013-07-11T20:08:38.871+05:30राजन आपसे ऐसे ही उत्तर की प्रतीक्षा थी लो मैं चला ...राजन आपसे ऐसे ही उत्तर की प्रतीक्षा थी लो मैं चला अगले अंक में फिर मिलूँगा तब तक के लिए दसविदानिया Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-4565225589141129782013-07-11T20:05:17.847+05:302013-07-11T20:05:17.847+05:30विक्रम और वेताल को आज के ब्लॉग बुलेटिन में शामिल क...विक्रम और वेताल को आज के ब्लॉग बुलेटिन में शामिल करने के लिए ह्रदय से आभार Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-68264803514689890962013-07-11T19:48:31.501+05:302013-07-11T19:48:31.501+05:30अच्छे और बुरे सब साथ साथ ही चलते हैं यही जीवन है....अच्छे और बुरे सब साथ साथ ही चलते हैं यही जीवन है..बहुत बढिया..आभारMaheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-18414825734761563032013-07-11T18:41:46.795+05:302013-07-11T18:41:46.795+05:30जीवन और लोगों की भेंट का एक ही निश्चित क्रम है?
इ...जीवन और लोगों की भेंट का एक ही निश्चित क्रम है?<br /><br />इसमें क्या शक है अक्सर हम उन लोगों से दूर रहने के लिए अभिशप्त होते है जिनका हम साथ चाहते हैं और उनके साथ रहने को विवश होते हैं जिनकी उपस्थिति मात्र से हम असहज हो जाते हैं राजेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/02628010904084953893noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-18971797908305594652013-07-11T18:14:43.190+05:302013-07-11T18:14:43.190+05:30ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन जनसंख्या विस्फोट ...ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन <a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2013/07/blog-post_11.html" rel="nofollow"> जनसंख्या विस्फोट से लड़ता विश्व जनसंख्या दिवस - ब्लॉग बुलेटिन </a> मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !ब्लॉग बुलेटिनhttps://www.blogger.com/profile/03051559793800406796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-69296958626815516512013-07-11T15:18:42.524+05:302013-07-11T15:18:42.524+05:30अच्छे बुरे का ये क्रम चलता रहेगा ... क्योंकि हम अप...अच्छे बुरे का ये क्रम चलता रहेगा ... क्योंकि हम अपना रूप बदलते रहते हैं ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-14782653289630472072013-07-11T14:20:17.512+05:302013-07-11T14:20:17.512+05:30बुरों के साथ भी रहना है..
यही जीवन है ! बुरों के साथ भी रहना है..<br />यही जीवन है ! Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-20756584244134027302013-07-11T13:57:53.400+05:302013-07-11T13:57:53.400+05:30भला-बुरा दोनों का संतुलन ही इस सृष्टि कर्म को सम्भ...भला-बुरा दोनों का संतुलन ही इस सृष्टि कर्म को सम्भाले हुए है...सत, रज और तमस इन तीनों गुणों के मेल से ही सृष्टि का निर्माण हुआ है...इनसे जो पार हुआ वही जीवन मुक्त है...Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-90428786191957057972013-07-11T13:13:06.655+05:302013-07-11T13:13:06.655+05:30काले से ही सफ़ेद रंग की पहचान है और काले की सफ़ेद ...काले से ही सफ़ेद रंग की पहचान है और काले की सफ़ेद से.<br />जब तक कायनात है दोनों ही रहेंगे अच्छे भी बुरे भी.<br />बुराई हमेशा अच्छाई को निगल लेती है.<br />शिकायते/ प्रश्न सब वाजिब हैं लेकिन सटीक उत्तर किस के पास है?Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-16572204765871856592013-07-11T08:05:29.784+05:302013-07-11T08:05:29.784+05:30दोनों से ही कायनात कायम है....दोनों से ही कायनात कायम है....ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-89199588917466043432013-07-10T23:34:57.559+05:302013-07-10T23:34:57.559+05:30आज भी कायनात का वजूद अच्छे लोगों से ही है?
आज भी कायनात का वजूद अच्छे लोगों से ही है?<br /><br />धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711112400443297069.post-6446787944119204432013-07-10T21:28:05.387+05:302013-07-10T21:28:05.387+05:30भला-बुरा ज्यों दिन-रात.भला-बुरा ज्यों दिन-रात.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.com